लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज यह मांग की है कि आने वाले सभी चुनाव ईवीएम से नहीं, बैलट पेपर से करवाये जाएं। इससे लोकतंत्र और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि जहां पर भी चुनाव हो रहे हैं, वहां से ईवीएम में खराबी की बातें सामने आ रही हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि कल जहां पर भी चुनाव हुए हैं और जहां पर ईवीएम में गड़बड़ी थी, वहां के लोगों को फिर से वोट डालने की अनुमति मिलनी चाहिए।
अखिलेश ने की घोषणा, लड़ेंगे 2019 लोकसभा चुनाव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज घोषणा की है कि वे 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ेगें। आपको बता दें, इसके पूर्व इस बात की चर्चा जोरों पर रही है कि अखिलेश यादव कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। कन्नौज से अभी अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं।
भाजपा सदस्यों की मौत बात खाली हुईं थीं सीटें
बता दें, कल उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हुए हैं और नूरपुर विधानसभा के लिए वोट डाले गए हैं। यह दोनों सीटें भारतीय जनता पार्टी के सांसद और विधायक की मौत हो जाने के कारण खाली हुई थीं।
कैराना लोकसभा सीट पर विपक्ष ने गठबंधन करके तबस्सुम हसन को अपना प्रत्य़ाशी बनाया था, तो भाजपा ने पूर्व सांसद मृगांका सिंह को टिकट दिया था।
रालोद प्रत्य़ाशी ने की थी चुनाव आयोग से शिकाय़त
रालोद प्रत्य़ाशी की तरफ से कई जगहों पर ईवीएम में गड़बड़ी की बात चुनाव आयोग से की गई थी। इसके साथ सपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव ने भी चुनाव आय़ोग के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके अलावा सत्तारूढ़ दल की तरफ से भी इस बात की शिकायत की गई थी कि कई जगहों पर ईवीएम मशीनें गड़बड़ थी, जिससे वोटिंग प्रभावित हुई है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में जब विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित हुए थे और नतीजे एकतरफा आए थे तभी सबसे पहले मायावती ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी ईवीएम में गड़बड़ी करके चुनाव जीती है। उसके बाद सभी विपक्षी हां में हां मिलाते हुए देखे गए थे। लेकिन किसी ने खुलकर ईवीएम का विरोध नहीं किया था।
विपक्ष उस समय तो आवाज उठाता है जब परिणाम उसके पक्ष में नहीं जाते हैं, लेकिन परिणाम जब पक्ष में आते हैं तो उनकी आवाज बंद जो जाती है।
लेकिन कुछ लोग यह कहते हैं कि उपचुनाव में ईवीएम में सेटिंग नहीं की जाती है, क्योंकि ये बहुत कम समय के लिए चुने जाते हैं और इनके जीतने हारने से सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं होता है। लेकिन जब सरकार बनाने की बात आती है तो वहां पर ईवीएम को सेट किया जाता है।