भारत गंगा-जमुना की तहजीब का देश हैं, जिसमें कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जाति धर्म के नाम पर हमारे इस गुलदस्ते में आग लगाने की कोशिश करते रहते हैं। उन्ही लोगों को सबक सिखाती आज की ये तस्वीर जिसमें एक व्यक्ति एक छोटी सी मासूम को खून दे रहा हैं। आप जरूर यह सोंचेगे की इसमें ऐसा क्या हैं, यह व्यक्ति इसका कोई रिश्तेदार होगा, लेकिन ठहरिये जनाब, यह इसका कोई परिचित नहीं हैं, बल्कि यह एक मुस्लिम व्यक्ति हैं जिसमे अपने धर्म से ज्यादा तवज्जो मानवता को दी और अपने रमजान का उपवास तोड़कर दो दिन के नवजात की जिंदगी बचाने के लिए खून दान किया। मोहम्मद अशफाक ने एक फेसबुक पोस्ट देखा था जिसे शिशु के परिवार ने पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने रक्त दान करने के लिए उपयोगकर्ताओं से आग्रह किया था।
शुक्रवार को, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के सैनिक रमेश कुमार सिंह की पत्नी ने दरभंगा के एक निजी नर्सिंग होम में एक बच्चे को जन्म दिया। जिसके बाद दिन बर दिन बच्चें की हालत नाजुक बनती जा रही थी, डॉक्टरों ने शिशु की स्थिति की जांच करने पर कहा कि उसे बचाने के लिए उन्हें ओ निगेटीव रक्त की आवश्यकता होगी। सिंह ने विभिन्न व्यक्तियों से पूछताछ की लेकिन उन्हे ऐसा कोई नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा, लोगों से अनुरोध किया कि जिनके पास ओ नेगेटिव रक्त समूह है, वे आगे आकर रक्त दान करके इस बच्चे को बचा सकते हैं। अशफाक ने पोस्ट पढ़ा और शिशु के परिवार से संपर्क कर उन्हें आश्वासन दिया गया कि वह आएंगे और बच्चे के जीवन को बचाने के लिए अपना खून देंगे।
अशफाक जब अस्पताल पहुंचे और अपने खून का दान करने की पेशकश की तो डॉक्टरों ने शुरु में यह कहकर मामले को खारिज कर दिया और कहा कि वह रमजान के उपवास पर थे। बाद में अशफाक ने खून दान किया। शिशु के दादा दादी ने कहा कि मुस्लिम होने के बावजूद अशफाक दूसरों को अपना खून दान करने में परेशान नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने धार्मिक कर्तव्य पर मानवता का चयन किया और उनकी बच्चे के जीवन को बचाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
पिछले हफ्ते, पटना से भी इसी तरह की खबर आई थी जब, जावेद आलम नामक एक आदमी ने अपना रमजान उपवास तोड़ दिया और थैलेसेमिया से पीड़ित आठ साल के लड़के के जीवन को बचाने के लिए अपना खून दान किया।