You are here
Home > breaking news > कर्नाटक को मिला नया मुख्यमंत्री, मंच से आईं तस्वीरों की हो रही देश में चर्चा

कर्नाटक को मिला नया मुख्यमंत्री, मंच से आईं तस्वीरों की हो रही देश में चर्चा

कर्नाटक को मिला नया मुख्यमंत्री, मंच से आईं तस्वीरों की हो रही देश में चर्चा

Share This:

नई दिल्ली। पिछले कई दिनों से कर्नाटक में चल रहे सियासी ड्रामे का पटाक्षेप हो गया है। कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली है, जिसके बाद उन्होंने कहा है कि हम मिलजुलकर राज्य में सरकार चलायेंगे और किसी तरह के मतभेद को आड़े नहीं आने देंगे।

लेकिन उनके शपथग्रहण के समय कई राज्य के मुख्यमंत्री तो कई राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्री मौजूद रहे। ये वे लोग थे जो इस समय भाजपा के साथ नहीं हैं और 2019 के आम चुनाव में भाजपा को शिकस्त देकर देश में सत्ता परिवर्तन चाहते हैं। इनमें मुख्य रूप से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, एऩसीपी अध्यक्ष शरद पवार, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, झारखंड के नेता हेमंत सोरेन, सीपीआई नेता सीताराम येचुरी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और लोकतांत्रितक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव का नाम शामिल है। इसके अलावा यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए।

ये सभी नेता एक साथ मंच पर आकर तस्वीरें खिंचवाये, जहां से देश को एक संदेश देने की कोशिश की गई कि 2019 के लिए हम तैयार हैं। बहुत दिनों के बाद ऐसी तस्वीर सामने आई है और इसे देखकर ऐसा लग रहा है जैसे इंदिरा गांधी के आपातकाल के बाद जनता पार्टी के नेता एक साथ आए थे और इंदिरा सरकार को उखाड़कर फेंक दिए थे।

शपथग्रहण के दौरान एक फोटो ऐसी आई है जो सबसे ज्यादा सुर्खियों में है। वह है सोनिया गांधी और मायावती की जिसमें सोनिया गांधी और मायावती एक दूसरे के साथ अपने सिर मिला रही हैं।

इस फोटो पर सोशल मीडिया में सबसे अधिक चर्चा हो रही है। जिसमें तमाम तरह की मिलीजुली प्रतिक्रियायें आ रही हैं। कोई कह रहा है कि जब कई सियासी दलों के नेता एक साथ आने लगें तो समझ लेना चाहिए कि देश का राजा इमानदार है। वहीं कई लोग यह कहते हुए देखे जा रहे हैं कि जब किसी राष्ट्र की सर्वोच्च शक्तियां निरकुंश हो जाती हैं तो सियासी लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ ही आना पसंद करने लगते हैं। ऐसी तमाम प्रतिक्रियायें हैं।

इसके अलावा मायावती और अखिलेश यादव के एक मंच पर आकर एक साथ लोगों का अभिवादन करते हुए भी तस्वीर आई है। इसकी भी चर्चा जोरों पर है। मंच पर बैठे हुए अखिलेश यादव और मायावती एक साथ बातचीत करते हुए देखे गए। आपको बता दें, इसके पहले गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में मिली जीत के बाद अखिलेश यादव मायावती को बधाई देने के लिए लखनऊ स्थित उनके आवास पर गए थे, लेकिन उस मुलाकात की कोई तस्वीर सामने नहीं आई थी। इसलिए सोशल मीडिया में इसकी खूब चर्चा है।

लेकिन भाजपा से अकेले लड़ने का दम किसी में नहीं बचा है। एक साथ आना इन पार्टियों की मजबूरी है। एक साथ आकर लोग सत्ता परिवर्तन तो कर देते हैं, लेकिन जब नेतृत्व करने की बारी आती है तो वहां पर फिर झगड़े शुरू हो जाते हैं। यानि नेतृत्व का संकट खड़ा हो जाता है। जिसका कारण है कि सबको कुछ न कुछ चाहिए होता है, जो जितना मिलता है उसमें संभव नहीं होता है। हर कोई मलाई काटना चाहता है।

ऐसे में अगर इस तरह से इतने सियासी दल एक साथ आ रहे हैं तो उनमें त्याग की भावना अगर नहीं आएगी तो सत्ता परिवर्तन के बाद एक नया सियासी ड्रामा शुरू होगा, जिसकी आशंका हर समय बनी रहती है और राजनीतिक जानकार हमेंशा यही बात कहते हैं कि ये लोग एक साथ आकर सत्ता में तो आ जाते हैं लेकिन जब नेतृत्व करने की बारी आती है तो एक बात जेहन में आने लगती है- सजनी हमहूं राजकुमार…..

Leave a Reply

Top