बेंगलुरु। भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक केजी बोपैया को कर्नाटक के राज्यपाल प्रो-टेम स्पीकर नियुक्त किया है। वहीं, भाजपा के सभी विधायक राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए राजभवन पहुंच गये हैं।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कल येदियुरप्पा सरकार का शक्ति परीक्षण होना है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश कांग्रेस-जेडीएस की उस याचिका की सुनवाई पूरी करने के बाद दिया है, जिसमें कर्नाटक के राज्यपाल के फैसले पर चुनौती दी गई थी कि उन्होंने एक ऐसे दल को सरकार बनाने का न्यौता दिया है जिसके पास बहुमत नहीं। अगर ऐसा हुआ तो लोगों का संविधान पर से भरोसा उठ जाएगा।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी कांग्रेस विधायकों से मिलने हैदराबाद पहुंच गए हैं। हैदराबाद के ताजकृष्ण होटल में विधायकों को ठहराया गया है।
हालांकि, उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कोई दिशानिर्देश नहीं जारी किए थे, लेकिन कांग्रेस की तरफ से दाखिल याचिका को खारिज नहीं किया था। जिस पर आज सुनवाई की गई और उसके बाद येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए दिए 15 दिन के समय को घटाकर कल शाम चार बजे कराने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि भाजपा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके पास कुल 104 विधायक हैं। परंतु आंकड़े बहुमत से दूर हैं। उधर, कांग्रेस-जेडीएस के पास कुल मिलाकर 118 विधायक हैं। ऐसे में यह पाना बहुमत मुश्किल है कि भाजपा सदन के पटल पर बहुमत साबित करने में कैसे कामयाब हो पाएगी। हां इतना जरूर है कि राज्यपाल के फैसले ने राज्य में विधायकों के खरीद-फरोख्त करने के लिए खुली छूट दे दी।
कांग्रेस-जेडीएस के विधायक यह कहते हुए सुने जा रहे हैं कि भाजपा की तरफ से उन्हें 100 करोड़ रुपये का ऑफर दिया जा रहा है। लेकिन वे भाजपा की तरफ से दी जा रही लालच का असर नहीं पड़ने वाला है। वे पूरी तरह से एकजुट हैं। वे भाजपा के खिलाफ वोट करेंगे।
कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि भाजपा की तरफ से सेक्रेट बैलट वोटिंग करवाने के लिए कहा गया था, लेकिन देश की शीर्ष अदालत ने उनकी इस अपील को खारिज कर दिया। इसके अलावा प्रो-टेम स्पीकर की नियुक्ति पर भी कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं।
सिंघवी ने कहा कि उनका यह फैसला नियमों के खिलाफ है। सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रो-टेम स्पीकर नियुक्त करना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है और नियमों की अनदेखी की गई है।
उधर, भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कांग्रेस के इस आरोप को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि बोपैया को 2008 में भी प्रो-टेम स्पीकर बनाया गया था। तब वे आज की अपनी उम्र से दस साल छोटे थे।
जाने- कौन होते हैं प्रो-टेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर वे होते हैं, जो चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष का चुनाव होने तक संसद या विधानसभा का संचालन करते हैं। या यूं कहा जा सकता है कि ये तो कामचलाऊ और अस्थायी अध्यक्ष ही प्रोटेम स्पीकर हैं। लोकसभा अथवा विधानसभाओं में इनका चुनाव बेहद कम वक्तों के लिए होता है। सामान्यतः सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव के ठीक बाद अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष के चुनाव से पहले अस्थायी तौर पर वे सदन के संचालन से संबंधित दायित्वों का निर्वहन करते हैं। प्रोटेम स्पीकर तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक सदस्य स्थायी अध्यक्ष का चुनाव न कर लें।