शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाक़ी निशाँ होगा। लेकिन हम एक ऐसे बलिया के शहीद परिवार के बारे में बताने जा रहे है जिसको सुनकर आप भी चकित हो जाएंगे। जिस सैनिक के डर से देश की सीमाओं पर देश के दुश्मनो को डर लगता है, आज बलिया जनपद के एक शहीद की पत्नी डर के साये में जी रही है।
बलिया जनपद के गड़वार थाना क्षेत्र के सुभाष उपाध्याय को जम्मू कश्मीर के बारामुल्ला में आतंवादियों के टोलियो पर टूट पड़े और 05 आतंवादियों को मार गिराया लेकिन गोली लगने के कारण सुभाष उपाध्याय भी देश के लिए शहीद हो गए। सुभाष की इस बहादुरी को देखते हुए भारत सरकार ने मरणोपरांत वीरता शौर्य पुरस्कार से नवाज़ा और शाहीद के नाम पर स्मारक के लिए जमीन भी अलॉट कि गई।
देश शहीदों का बहुत सम्मान करती है लेकिन सिस्टम शहीदों का कितना सम्मान करता है इसका नज़ारा बलिया में देखने को मिला सुभाष उपाध्याय को शहीद हुए लगभग 30 वर्ष बीत गए लेकिन अभी तक स्मारक नही बन पाया और चौकाने वाली बात है कि शहीद के स्मारक के लिए अलॉट जमीन पर भी पड़ोसियों द्वारा अवैध कब्जा कर लिया गया। शहीद की पत्नी के साथ मार पीट की गई जो मजबूरन पैतृक घर छोड़कर किराये के मकान में जीने को मज़बूर है। शहीद की पत्नी डर के साये में जी रही है और उसकी आखिरी इच्छा है कि पति सुभाष का स्मारक बन जाता। जमीन से अवैध कब्जे को हटाने और मारपीट की न्याय के लिए शहीद की पत्नी सरकारी मुलाज़ीमो के दरवाजों पर कई बार माथा टेक चुकी है पर कोई सुनवाई नही हुई। शहीद स्मारक 30 वर्षो बाद भी बन पाएगा कि नही शहीद स्मारक की जमीन से अबैध कब्जा हटेगा की नही ये आने वाले समय की बात है। वही पुलिस अधीक्षक श्रीपर्णा गांगुली का दावा है जमीनी विवाद में पुलिस कोई हस्तक्षेप नही कर सकती। परिवार को हर तरह की सुरक्षा के लिए पुलिस कटिबद्ध है।
हिन्द न्यूज टी.वी के लिए बलिया(उ.प्र) से अमित कुमार