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दिल्ली की जनता चाहती है कि राजनीतिक पर्यटन में मस्त अरविंद केजरीवाल कम से कम आज न्यायालय के पूछने के बाद तो जवाब दें कि शराब नीति यदि राजस्व के हित में थी, पारदर्शी थी तो उनकी सरकार ने वापस क्यों ली

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Akshit tomar  :—

नई दिल्ली, 2 जून। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है कि आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के वकील से वह प्रश्न पूछा है जो दिल्ली का बच्चा-बच्चा गत छह माह से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया से पूछ रहा है कि अगर उनकी सरकार द्वारा लाई गई शराब नीति उतनी ही अच्छी थी जैसा वह दावा करते हैं तो फिर उन्होंने उसे वापस क्यों लिया ?

श्री सचदेवा ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने प्रारंभ से ही शराब नीति को राजनीतिक चंदा उगाही के लिये इस्तेमाल करने का प्रयास किया और इसीलिये अधिकारियों एवं विशेषज्ञों की कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों की अवहेलना की। विशेषज्ञ कमेटी ने शराब निर्माताओं को थोक वितरण से अलग रखते हुये थोक वितरण सरकार के हाथ में रखने की सिफारिश की थी ताकि व्यवसायिक समूहन न हो सके पर मनीष सिसोदिया ने इसके विपरीत निर्णय लिया और निजी थोक विक्रेताओं का कमीशन 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया जिससे लगभग 2600 करोड़ रूपये का राजस्व नुकसान भी हुआ।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि केजरीवाल सरकार ने जहां शराब उपभोग को बढ़ाने के लिये शराब पीने की उम्र कम की, शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाकर युवाओं को नशे की ओर धकेला तो वहीं इनकी पाॅलिसी के चलते एक ओर राजस्व हानि हुई तो दूसरी ओर अनेक शराब विक्रेताओं को भी आर्थिक हानि हुई।

सचदेवा ने कहा है कि दिल्ली की जनता चाहती है कि राजनीतिक पर्यटन में मस्त अरविंद केजरीवाल कम से कम आज न्यायालय के पूछने के बाद तो जवाब दें कि शराब नीति यदि राजस्व के हित में थी और पारदर्शी थी तो उनकी सरकार ने वापस क्यों ली?

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