नैनीताल। मानसून खत्म होने के बाद शीतकाल में मौसम की बेरूखी नैनीताल की नैनी झील की सेहत पर भी भारी पड़ रही है। शीतकाल में हिमपात और वर्षा न होने से झील को रिचार्ज करने वाले प्राकृतिक जलस्रोतों का पानी लगातार घट रहा है। इससे झील के जलस्तर में तेजी से गिरावट हो रही है।
रोजाना करीब आधा इंच गिरावट से झील का जलस्तर वर्तमान में 7.10 फीट रह गया है। यह स्तर पिछले साल की तुलना में करीब डेढ़ फीट कम हैं। यह स्थिति तब है जब तीन माह पूर्व झील लबालब भरी हुई थी। आगे अच्छी वर्षा व हिमपात न हुआ तो गर्मियों में झील के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने की स्थिति बन सकती है।
विश्व प्रसिद्ध नैनीझील का अस्तित्व वर्षा जल पर ही आधारित है। पहाड़ी से निकलने वाले 62 नालों से झील को पानी की आपूर्ति होती है। वहीं झील के भीतरी और बाहरी जलस्रोतों के रिचार्ज होने से शीतकाल तक झील को पानी मिलता है।
शीतकाल में वर्षा और हिमपात होने से एक बार फिर झील के जलस्रोत रिचार्ज हो जाते है। जो गर्मियों तक झील को पानी की आपूर्ति करते है। मगर इस वर्ष आधा शीतकाल गुजर जाने के बाद भी वर्षा नहीं हो पाई है। स्थिति यह है कि अधिकांश स्रोत लगभग सूखने जैसी हालत में हैं और झील तक सिर्फ एक नाले से पानी पहुंच रहा है।
शीतकाल में नैनी झील को सूखाताल, मस्जिद तिराहा, बोट हाउस क्लब, मालरोड लाइब्रेरी, नानक होटल, अल्को होटल, तल्लीताल रिक्शा स्टैंड स्थित नाले से लगातार पानी की आपूर्ति होती थी। मगर इस वर्ष वर्षा नहीं होने के कारण केवल मस्जिद तिराहे पर स्थित नाला नंबर 23 से ही झील तक पानी पहुंच रहा है।
दिसंबर 2021 और आठ जनवरी 2022 तक 22 मिमी वर्षा और एक सेमी बर्फबारी हो चुकी थी। जिससे एक साल पहले आठ जनवरी को झील का जलस्तर 9.4 फीट बना हुआ था। मगर इस वर्ष अक्टूबर के बाद वर्षा नहीं हुई। जिससे अब झील के जलस्तर में भी तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है। झील का जलस्तर 7.10 फीट बना हुआ है। हालांकि 2018 से 2021 तक जनवरी प्रथम सप्ताह में जल स्तर इससे भी कम रहा है।
झील नियंत्रण कक्ष प्रभारी रमेश सिंह ने बताया कि झील की अधिकतम गहराई 27 मीटर है। झील के किनारे पर जलस्तर को मापने के लिए ब्रिटिश काल से ही गेज मीटर लगाए गए हैं। जिसमें 0-12 फीट तक ऊंचाई इंगित है। झील की गहराई के क्रम में 24.5 मीटर जलस्तर को सामान्य माना जाता है। जलस्तर मीटर गेज पर शून्य पहुंचने पर भी झील में 24.5 मीटर पानी बना रहता है।