उत्तर प्रदेश। भारत निर्मित कफ सिरप पर सवाल उठने के बाद प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया गया है। सभी ड्रग इंस्पेक्टरों को कफ सिरप पर निरंतर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। सभी जिलों में थोक एवं फुटककर विक्रेताओं के यहां से नियमानुसार कफ सिरप के सैंपल लिए जाएंगे ताकि किसी कंपनी के कप सिरप मानक के अनुसार न हों तो सुधार करवाया जा सके।
गाम्बिया के बाद उज्बेकिस्तान ने भारत निर्मित कफ सिरप पर संदेह जताया है। यह सिरप गाजियाबाद से बना था। ऐसे में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग अलर्ट हो गया है। क्योंकि सर्दी के सीजन में अलग-अलग कंपनियों के कफ सिरप की खपत बढ़ गई है। ऐसे में एफएसडीए के उप आयुक्त (ड्रग) एके जैन ने सभी ड्रग इंस्पेक्टरों से हर स्तर पर निगरानी करते रहने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने निर्देश दिया है कि एक ही कंपनी के सैंपल अलग- अलग जिलों दुकानों से लेते समय यह ध्यान रखें कि बैच नंबर अलग हो।
ताकि ज्यादा से ज्यादा बैच नंबर की जांच की जा सके। यदि कोई बैच नंबर अधोमानक माना जाता है तो उसे ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। उप आयुक्त ने दुकानदारों से अपील की है कि थोक दुकानों से कफ सिरप लेते समय बिल बाउचर दुरुस्त रखें। बिना बिल के फुटकर दुकान पर रखी गई दवा पकड़ी गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। अक्तूबर माह में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हरियाणा की कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल लिमिटेड की ओर से बनाए गए चार कफ सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया गया था। इसमें प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप शामिल है।
इन चारों सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा सही नहीं पाई गई थी। सिरफ में इन पदार्थ के होने से पेट दर्द, पेशाब न होने, किडनी की समस्या, मानसिक स्थिति गड़बड़ाने सहित अन्य तरह की समस्याएं होती हैं। ऐसे में ड्रग इंस्पेक्टरों ने इन चारों सिरप पर भी नजर रखने का निर्देश दिया गया है। हालांकि पहले हुई जांच में ये सिरप उत्तर प्रदेश केबाजार में नहीं मिले थे। क्योंकि ये सिरफ सिर्फ निर्यात के लिए बताए गए थे।