देहरादून। आज उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर उत्तराखंड की धरती दो बार भूकंप के झटकों से डोल उठी, जिससे लोग दहशत में आ गए है, रात का वह मंजर और सुबह की कंपन को लोग अभी भी भूल नहीं पाए है। सबसे पहला भूकंप देहरादून समेत प्रदेश के कई क्षेत्रों में महसूस किया गया, जो कि रात के लगभग 1 बजकर 57 मिनट पर आया। इस समय सभी लोग गहरी नींद में सो रखे थे, कि तभी अचानक से खिड़कियां खटकने लगी, दरवाजों से खट- खट की आवाज आने लगी। यह सब देख लोगों की नींद उठी, और वह अपने- अपने घरों से बाहर निकलने लगे। कई जगहों पर लोगों ने भूकंप के पूरे- पूरे झटके महसूस किए।
नेपाल में था भूकंप का केंद्र
भूकंप का केंद्र नेपाल में था, यह कहना नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलाजी का है, वहीं भूकंप का दूसरा झटका आज सुबह लगभग 6 बजकर 27 मिनट के आसपास महसूस किया गया। इस भूकंप के पूरे- पूरे भटके पिथौरागढ़ में महसूस किए गए। इस बीच गरीमियत की बात यह रही कि भूकंप से किसी प्रकार के जन- धन की कोई हानि नहीं हुई। भूकंप की तीव्रता 4.3 मापी गई। रात लगभग 1 बजकर 57 मिनट पर आए भूकंप की तीव्रता 6.3 मापी गई है, वहीं भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे बताई जा रही है।
लोगों में मची अफरा- तफरी
देर रात भूकंप के झटके हल्द्वानी, ऊधमसिंह नगर, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल आदि जगहों पर महसूस किए गए। इस दौरान लोगों में काफी दहशत भी देखी गई, लोग अफरा- तफरी में घरों से बाहर निकल गए। कुमाऊं विवि में प्रोफेसर रहे प्रसिद्ध भू- वैज्ञानिक और एमओईएस के प्रधान अन्वेषक रहे प्रो. चारु चंद्र पंत का कहना है, कि भूकंप के इस तरह के छोटे झटके आना मतलब बड़े झटकों का टालना माना जाता है। भूकंप के छोटे झटके बड़े झटकों को टाल देता है, और यह झटके शुभ माने जाते है।