NARESH TOMAR —–: कोरोना महामारी आज पूरी दुनिया में विकराल रूप ले लिया है. हर देश आज उसकी वैक्सीन बनाने में जुटा हुआ है साथ ही हर देश और वहां के नागरिक यह भी मालूम करना चाहते हैं कि आखिर यह वायरस दुनिया के किस कोने से लैफैला है। इसके लिए सभी देशों ने एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी की मांग की थी कि वह उस देशों में जाकर कोरोना वायरस के स्रोत का पता करें जहां से कोरोना वायरस पनपा है.
लेकिन चालाक चोर चीन ने कोरोना वायरस के स्रोत को लेकर इस स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी की मांग को अपने देश में आने से मना कर दिया है. ब्रिटेन में चीन के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा कि इस तरह की मांग राजनीति से से प्रेरित है और इससे चीन में को कोरोना महामारी से लड़ने में रुकावट आएगी.
दरअसल मनाया जा रहा है कि कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वोहान शहर से हुई थी। अब अमेरिका समेत दुनिया भर से मांग हो रही है कि चीन इस महामारी के स्रोत की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच कराएं। इसी बीच यूरोपीय संघ ने अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि चीन कोरोना संकट को लेकर गलत सूचनाएं फैला रहा है.कोरोना संकट ठीक ढंग से नहीं बताने की लिए के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार चीन की आलोचना की है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अमेरिका चीन में अपना दल भेजना चाहता है लेकिन रुकावटें पैदा कर रहा है.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा है कि अमेरिका दूसरे देश के साथ मिलकर काम कर रहा है और उन्हें समझ आ रहा है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन के वुहान शहर से हुई है। चीन की सरकार को इस बारे में दिसंबर 2019 में निश्चित ही जानकारी थी और एक राष्ट्र के रूप में वे अपनी बुनियादी कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे है. यही नहीं विश्व स्वास्थ संगठन के अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों का पालन करने में विफल रहे और उसके बाद इन सब को छुपाने के लिए उन्होंने चीन का साथ दिया।
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