Haresh kumar —– हम आपको बता दें कि दुनिया के कुछ देशों में कोरोना वायरस को हराने में कैसे सफलता पाई। हांगकांग में अब तक कोरोना के 365 के सामने आए जिनमें से मात्र 4 की मौत हुई. जबकि सिंगापुर में 455 मामले सामने आए और सिर्फ दो की मौत हुई। ताइवान में अब तक 195 केस हुए 2 लोगों की मौत हुई। यह तीनों ही देश चीन के पड़ोसी हैं इन के बावजूद भी इन देशों में कोरोना के केस कम होने का सबूत यह देता है कि वहां की सरकार और समाज ने कोरोना वायरस के खिलाफ मिलकर बेहद तेजी से और बेहद कारगर कदम उठाए है।
कोरोना के खिलाफ इस विश्व युद्ध में पूरी तरह अपने को सुरक्षित कर लिया। जबकि हांगकांग सिंगापुर और ताइवान जैसे देशों में जिस तरह का खानपान चीन में है बिल्कुल उसके समांतर ही खान-पान इन देशों में खाया जाता है.
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ ने 3 फरवरी 2020 को सभी देशों में यात्रा संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए थे। लेकिन हांगकांग और सिंगापुर इससे दो दिन पहले यानी 1 फरवरी को ही चीन से आने वाली सभी फ्लाइट और यात्री पर रोक लगा दी थी। सिंगापुर में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश भर में अभियान चलाकर बुखार और मालिरया के मरीजों को इस्युओलेट करना शरू कर दिया था। हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के मुताबिक एक समय सिंगापुर किसी भी देश की तुलना में ३ हजार लोगों की जांच कर रहा था. जिससे कॉर्नर वायरस काफी हद तक सीमित हो गया।
इतना ही नहीं इन देशों ने सबसे पहले अपने नागरिकों को सामाजिक दूरी बनाने और सफाई का और ज्यादा ध्यान रखने के लिए जागरूक अभियान चलाया था। जिससे जनता ने पूरी सख्ती से पालन किया ऑनलाइन वेबसाइट पर से जुड़ी real-time इंफॉर्मेशन देने का सिस्टम तैयार किया। ताकि किसी तरह की अफवाह ने फैले। और जायदा लोगों को कोरोना वायरस से जागरूक किया जा सके।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई से जुड़ी एक अच्छी खबर भी आई है. इंडिया काउंसलिंग ऑफ मैडिटेशन रिसर्च यानी आईसीएमआर ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि इस वायरस के बचाव के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन नाम की दवाई का इस्तेमाल किया जा सकता है. आमतौर पर इस दवाई का इस्तेमाल मलेरिया के बचाव और उसके इलाज के लिए होता है. इसका इस्तेमाल सिर्फ वही स्वास्थ्य कर्मचारी कर पाएंगे जो कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों का इलाज कर रहे हैं. और जिन्हें संक्रमण होने का खतरा है. जो लोग घरों में कोरोना वायरस से संक्रमित किसी मरीज की देखभाल कर रहे हैं वह भी बचाव के तौर पर इस दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं.
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