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दंगा नियंत्रण कानून पेश कर इस पार्टी ने बहुसंख्यक के साथ ऐसा क्यों किया    

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दंगा नियंत्रण कानून

एक  समाज के लिए फांसी का फंदा, बहुत से लोगों को इस बिल के बारे में पता होगा, 2011 में इस बिल की रुपरेखा को सोनिया गाँधी की विशेष टीम ने बनाया था जिसे NAC भी कहते थे, इस टीम में दर्जन भर से ज्यादा सदस्य थे 
कांग्रेस का कहना था की इस बिल के जरिये वो देश में होंगे वाले दंगों को रोकेंगे। अब इस बिल में कई प्रावधानो पर जरा नजर डालिए:–
📌अगर कोई अल्पसंख्यक सिर्फ यह आरोप लगा दे कि मुझसे भेदभाव किया गया है तो पुलिस को अधिकार था आपके पक्ष को बिना सुने आपको जेल में डालने का हक होगा और इन केसों में जज भी अल्पसंख्यक ही होगा..
📌 अगर आपके घर में कोई कमरा खाली है और कोई मुस्लिम आपके घर आता है उसे किराए पर मांगने के लिए तो तो आप उसे कमरा देने से इंकार नहीं कर सकते थे क्योंकि उसे बस इतना ही कहना था कि आपने उसे मुसलमान होने की वजह से कमरा देने से मना कर दिया ..आपकी सीधी गिरफ़्तारी और ऊपर से जज भी अल्पसंख्यक..
📌 देश के किसी भी हिस्से में दंगा होता, चाहे वो मुस्लिम बहुल इलाका ही क्यों न हो, दंगा चाहे कोई भी शुरू करता पर दंगे के लिए उस इलाके के वयस्क वर्ग पुरुषों को ही दोषी माना जाता और उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांचें शुरू होती। और इस स्थिति में भी जज केवल अल्पसंख्यक ही होता ऐसे किसी भी दंगे में चाहे किसी ने भी शुरू किया हो..
📌अगर दंगों वाले इलाके में किसी भी बहुसख्याक  बच्ची या बहुसंख्याक महिला का रेप होता तो उसे रेप ही नहीं माना जाता । बहुसंख्यक है इसलिए उसकी महिला का रेप रेप नहीं माना जायेगा और इतना ही नहीं कोई महिला बलात्कार की पीड़ित हो जाती और वो शिकायत करने जाती तो अल्पसंख्यक के खिलाफ नफरत फ़ैलाने का केस उस पर अलग से डाला जाता..
📌 इस एक्ट में एक और प्रस्ताव था जिसके तहत आपको पुलिस पकड़ कर ले जाती अगर आप पूछते की आपने अपराध क्या किया है तो पुलिस कहती की तुमने अल्पसंख्यक के खिलाफ अपराध किया है, तो आप पूछते की उस अल्पसंख्यक का नाम तो बताओ, तो पुलिस कहती – नहीं शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जायेगा..
📌 कांग्रेस के दंगा नियंत्रण कानून में ये भी प्रावधान था की कोई भी इलाका हो बहुसंख्यको को अपने किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से पहले वहां के अल्पसंख्यकों का NOC लेना जरुरी होता यानि उन्हें कार्यक्रम से कोई समस्या तो नहीं है । ऐसे हालात में अल्पसंख्यक बैठे बैठे जजिया कमाते क्यूंकि आपको कोई भी धार्मिक काम से पहले उनकी NOC लेनी होती, और वो आपसे पैसे की वसूली करते और आप शिकायत करते तो भेदभाव का केस आप पर और ऐसे हालात में जज भी अल्पसंख्यक..
📌और भी अनेको प्रावधान थे कांग्रेस के इस दंगा नियंत्रण कानून में जिसे अंग्रेजी में Communal Violence Bill भी कहते है..

सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल का सबसे पहले विरोध शुरू किया था और उन्होंने इस बिल के बारे में लोगों को जब बताया था

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