नरेश तोमर, भारत-पाकिस्तान का 1971 का युद्ध सभी के जेहन में आज भी जिंदा होगा .1971 में जहां बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हुआ और भारत की सेना ने बांग्लादेश का साथ दिया था. लेकिन आपको इसी कहानी में एक चीज और है जो आज मुद्दा एनआरसी कब का उठा है. भारत की सेना और वहां के अधिकारी जो बांग्लादेश के युद्ध में गए थे वहां पर हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को अच्छे से अपनी आंखों के सामने देख लिया था उनमें से एक थे भारत की सेना के ब्रिगेडियर ठाकुर भवानी सिंह जो राजस्थान की एक रियासत के महाराजा भी थे. भारत की सेना द्वारा और भारत की राजनीतिक पार्टी द्वारा यह मुद्दा उस समय की सरकार में शामिल इंदिरा गांधी के सामने उठाया था और बताया था किस तरह वहां हिंदुओं पर किस तरह से लगातार अत्याचार हो रहे हैं. पाकिस्तान में हिंदुओं की लड़कियों के साथ में रेप किया जा रहा है. और जबरन उनसे शादी की जा रही है. और वहां पर जो हिंदू वहां हिंदू बचा हुआ है उनको जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. भारत की सरकार को वहां के हिंदुओं के बारे में सोचना चाहिए.
भारत की सेना में ब्रिगेड ने बताया कि वहां पर किस तरह हिंदुओं ने भारत की सेना की मदद की और इस मदद में सबसे आगे रहे लक्ष्मण सिंह सोढा यह लक्ष्मण सिंह सोढा वही थे जो देश आजाद होने के बाद पाकिस्तान की सरकार में रेल मंत्री रहे उनके द्वारा भारत की सेना की मदद की गई और बताया गया कि किस तरह पाकिस्तान के लोग पाकिस्तान की सेना हिंदुओं के साथ में अत्याचार किया जा रहे हैं और जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा है लक्ष्मण सिंह सोढा की गतिविधि देखते हुए पाकिस्तान की सरकार ने उनको फांसी पर चढ़ाने का हुक्म जारी कर दिया था .
लेकिन भारत की सेना उनको अपने साथ भारत लेकर आ गई उनके साथ में बहुत सारे सोडा राजपूत, सिंधी, दलित, उनके साथ में लाखों की संख्या में हिंदू भारत में आ गए. वह राजस्थान में बस गए, उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लक्ष्मण लक्ष्मण सिंह सोडा के साथ ही पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को वापिस भेजना चाह रही थी ,लेकिन उस समय के नेता भैरों सिंह शेखावत और राज्यसभा के सांसद के द्वारा राज्यसभा में लक्ष्मण सिंह सोढा को वापस भेजने का विरोध किया गया .आखिरकार इंदिरा गांधी को मानना पड़ा कि पाकिस्तान में हिंदुओं पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं तथा पाकिस्तान में हिंदू महिला सुरक्षित नहीं है और उन पर धर्म परिवर्तन का लगातार दबाव बनाया जा रहा है इसको देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लक्ष्मण सिंह सोढा और उसके साथ में आए शरणार्थियों को भारत में बसने का प्रस्ताव पारित कर दिया था .
आज भी लक्ष्मण सिंह सोढा उनके साथ में आय हिंदी दलित अन्य बिरादरी के लोग राजस्थान राजस्थान में रहते हैं. अब एकाएक ऐसा क्या हुआ की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को राजस्थान में बसाया और एनआरसी पर मोहर लगाई . वहीं कांग्रेस पार्टी व अन्य दल सड़कों पर इसी कानून का विरोध करते दिख रहे हैं और साथी भारत के मुसलमानों को बताया जा रहा है कि आपको वापिस पाकिस्तान भेजा जाएगा जबकि इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान है ही नहीं अभी तक जो अल्पसंख्यक पाकिस्तान बांग्लादेश नेपाल म्यांमार अफगानिस्तान में रह रहे है. उनको भारत की नागरिकता देने की बात की जा रही है. ताकि उन पर हो रहे अत्याचार और ना हो इसमें मुसलमानों को भारत से कहां बेदखल कर दिया जाएगा इस कानून में ऐसा कुछ प्रावधान है ही नहीं भारत के वह पार्टी जो यहां के मूलनिवासी मुसलमानों को बहका ने कार्य कर रही है. उनको समझना चाहिए कि आपकी पार्टी के वरिष्ठ नेता द्वारा ही एनआरसी लाई गई थी सन 1971 में तो फिर इस पर इतना विरोध क्यों अगर विरोध कर रहे हैं तो कहीं ना कहीं भारत का माहौल बिगाड़ने और विकास को नुकसान पहुंचाने का कार्य यह सब पार्टी कर रही है.