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जेएनयू में गुंडागर्दी व देश विरोधी हरकतों की इजाज़त कब तक

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-वोट बैंक की राजनीति के चलते शिक्षा के मंदिर को बना रखा है वामपंथी सोच का अड्डा
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने देश के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान जवाहर नेहरू यूनिवर्सिटी की मामूली फीस में वृद्धि की गई जिसके बाद उक्त संस्थान में विरोध प्रदर्शन किए गए साथ ही वहां स्थित स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा को खंडित किया गया व आपत्तिजनक कॉमेंट किए गए यही नहीं जे एन यू में दशकों से देश विरोधी गतिविधियों के आरोप लगते रहे हैं लेकिन अफसोस राजनीतिक स्वार्थ व वोट बैंक की राजनीति के चलते किसी भी सरकार उसके खात्मे के लिए कोई खास प्रयास नहीं किये जिससे इन लोगों को हौसले बढ़ते गए जिसके चलते इन लोगो ने आतंकवादी जैसे देश के गंभीर मामले में अपनी कार्य प्रणाली से देश वासियों को अचंभित किया लेकिन अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार को जे एन यू में चल रही देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें जिससे की शिक्षा के मंदिर से राजनीति की संचालन बन्द हो सके ।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों जे एन यू की मामूली फीस में बढ़ोतरी की गई है जिसके बाद वहां के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए लेकिन जिस तरह से 14 नवंबर को केंपस में स्थित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को खंडित कर उसके आस पास आपत्ति जनक नारे लिखे गए उससे देश वासियों को सिर शर्म से झुक गया की देश का सर्वोच्च शिक्षा संस्थान माने जाने वाले जे एन यू जिसे देश का सबसे बड़ा शिक्षा का मंदिर है माना जाता हैं वहां इस तरह की हरकत हुई।
यही नहीं जे एन यू से अक्सर देश विरोधी गतिविधियों व आतंकवादियों के समर्थन की आवाजें उठती रही है जिसमे कभी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर उक्त आतंकवादी के समर्थन में नारेबाजी, तो कभी भारत के नक्शे से कश्मीर को अलग दिखाना ,तो कभी दंतेवाड़ा में मारे गए सी आर पी एफ के सैनिकों के शहीद होने पर उत्सव मनाना जैसे दर्जनों मामले देश वासियों के सामने आए हैं और तो और इसी जे एन यू में एक बार तो “बीफ फेस्टिवल “मनाने की कोशिश तक की गई साथ ही इसी जे एन यू केंपस से अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ” भारत की बर्बादी तक जंग जारी रहेगी ” ” बंदूक के नाम पर आजादी लेंगे ” जैसे तमाम देश विरोधी नारों गूंजते रहे है ।
पिछले कई दशकों से जिस तरह से जे एन यू केंपस में खुले आम देश विरोधी गतिविधियों व आतंकवादियों को अपरोक्ष रूप से समर्थन मिलता रहा है वो दुर्भाग्य पूर्ण व की देश हित में नहीं है इसीलिए केंद्र सरकार को राजनीतिक इच्छा शक्ति से ऊपर उठकर शिक्षा के मंदिर माने जाने वाले जे एन यू से संचालित होने वाली आपत्तिजनक गतिविधियों पर तुरन्त रोक लगाते हुए कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए जिससे की देश के इस सर्वोच्च शिक्षा संस्थान का सम्मान बढ़ सके साथ ही राजनीतिक पार्टियां उक्त शिक्षा संस्थान के माध्यम से वोट बैंक की राजनीति न कर सकें ।

प्रस्तुति— विनय अग्रवाल, चंदौसी

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