भारत का उत्थान औऱ पतन हिन्दू के उत्थान और पतन से जुड़ा है
नरेश तोमर. भारत का उत्थान और पतन हिंदू के उत्थान और पतन से जुड़ा हुआ है। इस सत्य को मानकर भारत का स्वरूप अखंडता श्रम सुरक्षा और सरगुन विकास यह हिंदू का दायित्व है। इसलिए हिंदू समाज समाज का संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विकास यात्रा निरंतर 94 वर्षों से इस पुनीत कार्य को लेकर लगातार आगे बढ़ रही है। विजयदशमी की स्थापना दिवस पर जो व्यक्ति जो स्वयंसेवक निरंतर आगे बढ़ रहा है बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज हम बात करते हैं किस तरह देश के विभिन्न कोनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने अपना कार्य किया सबसे ज्यादा कठिन कार्य उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां मूलभूत सुविधाएं ना होते हुए भी और भौगोलिक स्थिति सामान्य होने के कारण वहां पर किस तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने निरंतर 94 वर्षों में अपना यह कार्य किया। इस दौरान संघ उत्तराखंड के सुदूर गांवों तक पहुंचा है। उत्तराखंड में संघ कार्य कब प्रारंभ हुआ यह कहना कठिन है।
यहां मैदानी क्षेत्रों से कई स्वयंसेवक समय समय पर नौकरियों कारोबार के लिए आई विभाजन के बाद भी अनेक लोग यहां आकर बसे उन्होंने अपने स्थान पर संघ शाखा के लिए प्रयास किए अल्मोड़ा श्रीनगर पौड़ी देवप्रयाग कोटद्वार देहरादून एवं नैनीताल आदि की शाखाएं उसी समय की है 1963 में स्वर्ग या भाऊराव देवरस की प्रेरणा से अल्मोड़ा प्रचारक श्री ब्रह्मदेव शर्मा जी बताते हैं कि 1947 48 में गढ़वाल गढ़वाल तथा कमल के कुछ स्थानों पर शाखाएं थी किन्नी पांडे जी के प्रयासों से रानीखेत में भी शाखाएं चलती थी 1962 के बाद कार्य में गति आई 1967 के लखनऊ शिविर में पहाड़ के कुछ कार्यकर्ता गए थे इनमें अल्मोड़ा के प्रसिद्ध समाजसेवी एडवोकेट सोहन सिंह जी भी थे, सनकी योजना से कई विद्यार्थी विस्तारक को दोस्त स्थान पर भेजा गया इनके प्रयासों से कुछ शाखाएं खड़ी हुई कुछ कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग में भी जाने लगे 80 के दशक में यहां से प्रचारक के रूप में समय देने का क्रम प्रारंभ हुआ कुछ युवा अन्य प्रदेश में संघ के संबंध में आए और प्रचारक बने 1965 में डॉक्टर नित्यानंद जी भूगोल के प्राध्यापक बंद है संघ कार्य की विस्तार और उनकी गुणवत्ता में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही उत्तर प्रदेश में संघ के सूत्रधार सर्दे भाऊराव ने कहा कि गिरी वासी वनवासी समाज के बीच जाकर ही उनकी समस्या समझी जा सकती है हमें सामाजिक चेतना के ऐसे केंद्र खड़े करने होंगे जिनसे समाज में अपने पन का भाव जागृत हो अतः शाखा के साथ ही 1958 में सरस्वती शिशु मंदिर के रूप में शिक्षा का प्रभाव तंत्र खड़ा होने लगा । इन विद्यालय में अधिकांश आचार्य में प्रधानाचार्य मैदानी क्षेत्रों से तथा शाखा पद्धति से परिचित थे अतः संघ कार्य में तेजी बड़ी डॉक्टर नित्यानंद जी ने लिखा है आचार्य परिवार के मुंह त्याग और बलिदान की अनकही कहानी तभी उजागर होगी जब कोई उत्तराखंड के सामाजिक परिवर्तन का तथ्यात्मक मूल्यांकन करेगा तब वह पाएगा कि इन उपलब्धियों में 80% से अधिक श्रेय इन्हीं का है अनेक विद्यार्थी पाठ से अध्ययन के लिए देश के विभिन्न विद्यालय में गए वहां से स्वयं सेवक बने घर आने पर वे अपने गांव या आसपास शाखा लगाने का प्रयास करते थे उन दिनों संघ के कार्यालय नितेश अंशु का घर की सक्रियता का केंद्र रहता था 1980 में एक संपर्क अभियान में जानकारी मिली कि अनेक ऐसे स्थान हैं जहां शाखा तो नहीं है किंतु पुराने समय से गांव के लोग या परिवार स्वयं या संघ के हित चिंतक मां मानते हैं संघ कार्य में श्रीवर्धन में समय-समय पर एकात्मक यग यात्रा तथा श्री राम मंदिर आंदोलन जैसे अभियानों मैं भी योगदान रहा। उत्तराखंड जब उत्तर प्रदेश का हिस्सा था तब सेशन के वरिष्ठ पदाधिकारी का यहां प्रवास होता रहा है आज इस सीमांत प्रदेश के अंतिम छोर तक शाखा ग्राम विकास प्रकल्प तथा विद्या भारती के शिक्षा केंद्र गतिमान है। जिनके पीछे वर्षो वर्ष का परिश्रम तथा समाज का सहयोग विद्यमान है। भारत का उत्थान औऱ पतन हिन्दू के उत्थान और पतन से जुड़ा है। इस सत्य को मानकर भारत की सर्वांगीण अखंडता , सर्वांगीण सुरक्षा व सर्वांगीण विकास ये हिन्दू का दायित्व है इसलिये हिन्दू समाज का संगठन रा0स्व0संघ की विकास यात्रा निरन्तर 94 वर्षो से इस पुनीत कार्य को करती हुई बढ़ रही है।आज विजया दशमी व स्थापना दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनाएं…