मेरठ के नगर निगम परिसर में 2215 सफाई कर्मचारियों ने धरना देते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और आरोप लगाए की पिछली प्रदेश सरकार से उन्होंने संविदा से नियमित करने या अपनी वेतन वृद्धि की मांग की थी तो सरकार ने उनकी मांग को पूरा करने के बजाय उनकी संविदा निरस्त करते हुए उन्हें आउटसोर्सिंग में कनवर्ट कर दिया था। लेकिन जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो सरकार से उन्हें उम्मीदें हुई कि शायद भाजपा ही वाल्मीकि समाज का उद्धार करेगी। लेकिन भाजपा ने भी उनकी एक ना सुनी और उनका स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर शोषण करने लगी । उनका कहना है कि जो सफाई कर्मचारी सुबह उठते ही दुनिया की गन्दगी साफ करते हैं और पूरे दिन मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालने की कोशिश करता है उनको मेरठ में 7 रुपए तनख्वाह दिए जा रहे हैं । जिसमें परिवार का पेट पालना बहुत दूर अपने बच्चों की परवरिश भी सही से नहीं कर पा रहे। अब मेरठ के 2215 सफाई कर्मचारियों ने नगर निगम में धरना देते हुए प्रदेश सरकार से 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पहले अपनी संविदा बहाल और समान कार्य समान वेतन की मांग की है। अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती तो पूर्ण रूप से खुलकर भाजपा का चुनाव बहिष्कार करेंगे । इस आंदोलन में सफाई कर्मचारी के साथ साथ पूरा वाल्मीकि समाज भी उनके साथ रहेगा।