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हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की मुस्लिम महिला ने, मंदिर निर्माण के लिए की ये काम

The Muslim woman presenting the example of Hindu-Muslim unity, the work of constructing a temple

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आज मंदिर मस्जिद को लेकर समाज दो धड़ो में बट रहा है। अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा इस वक्त सबसे संवेदनशील विषय बना हुआ है। कई बार लोग इस मुद्दे पर एक दूसरे का खून भी बहा चुके है और बिगाड़ चुके है सांप्रदायिक सौहार्द। लेकिन समाज मे आज भी कुछ ऐसे लोग है जोकि धर्म भावना से ऊपर उठकर सौहार्द की मिसाल कायम करते दिखाई दे रहे है।

दरअसल , मेरठ के कस्बा सिवालखास की एक मुस्लिम महिला ने मंदिर निर्माण के लिए भूमि दान देकर संप्रदायिक सौहार्द की मिसाल क़ायम की है। महिला की इस दरियादिली की क्षेत्र में हर जगह प्रशंसा की जा रही है। 

मेरठ से करीब 20 किलोमीटर दूर मेरठ-बागपत मार्ग के नजदीक कस्बा सिवालखास है। ये मेरठ की 7 विधानसभा में से एक विधनसभा भी हैं यहां के ज्यादातर लोग मजदूर वर्ग से हैं। इस कस्बे में हिंदू-मुस्लिम को लेकर कभी कोई विवाद नहीं है। कुछ दिन पूर्व कस्बे के हिंदू वर्ग के कुछ व्यक्ति कस्बा निवासी रिटायर्ड शिक्षक आस मोहम्मद के घर पहुंचे। उस समय वे घर पर नहीं थे। इसके बावजूद उन लोगों ने कस्बे में मंदिर निर्माण के लिए भूमि खरीदने हेतु घर में मौजूद शिक्षक आस मोहम्मद की पत्नी अकबरी से चंदा मांगा। इस बाबत अकबरी ने उन्हें अपनी भूमि दान देने का प्रस्ताव रखा । इसके बाद अकबरी ने अपने पति से विमर्श किया। उन्होंने भी पत्नी अकबरी की भावनाओं का सम्मान रखते हुए सहमति जता दी। इसके बाद अकबरी ने मंदिर निर्माण के लिए खून पसीने की कमाई से खरीदी गई सौ गज भूमि मंदिर के लिए हिन्दू भाइयो को दान दे दी । आजकल भूमि पर मंदिर की नींव भरी जा रही है। इस संबंध में अकबरी ने बताया कि वह अपने धर्म में पूरी तरह विश्वास रखती हैं। वहीं, दूसरे धर्मों की भी इज्जत करती हैं। उन्हें खुदा ने सब कुछ दिया है। उनका परिवार समय-समय पर मस्जिदों के लिए दान देता है। पहली बार उनके पास कोई मंदिर निर्माण के लिए दान मांगने आया तो उन्होंने मंदिर के लिए भूमि दे दी। अकबरी के पुत्र दीन मोहम्मद ने बताया कि काफी समय पहले उनके पिता ने इस भूमि को कस्बा निवासी सुशील गुप्ता से खरीदा था । इसे उन्होंने अपनी पत्नी के अकबरी के नाम कराया था। वहीं, मंदिर के लिए मुस्लिम महिला द्वारा भूमि दान करना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। उधर आस मोहम्मद भी जमीन देकर खुश है जबकि हिन्दू भाई तो फुले नही समा रहे है। गौरतलब है कि इस कस्बे में हिंदुओं की संख्या कम है बावजूद इसके मुस्लिम भाई ही मंदिर बनवा रहे है।

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करने वाली इस महिला से सभी को सीख लेनी चाहिए कि सभी एक दूसरे के धर्मो का सम्मान करें और आपस मे कोई बैर न करे। क्योकि मज़हब नही सिखाता आपस मे बैर करना , हिंदी है हमवतन है हिन्दोस्तां हमारा। 

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