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देश में महिला सुरक्षा के प्रति समाज की भी निष्पक्ष भूमिका होनी चाहिए : मनोज तिवारी

There should also be an unbiased role for women's safety in the country: Manoj Tiwari

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देश में जब किसी महिला के साथ कोई घटना होती है तो उसके पीछे उसकी कुत्सित सोच मानसिकता प्रभावी होती है. मानसिकता सुधारने में समाज की भी निष्पक्ष भूमिका होनी चाहिए. निर्भयाकांड के वर्षों बीत जाने के बाद भी महिला उत्पीड़न, रेप,दहेज जैसे कुकृत्यों पर लगाम नही लग पा रही रही है. हर वर्ष अनेक मामले सामने आते रहते है।  उक्त विचार निर्भया की स्मृति में सांसद मनोजतिवारी ने डायलॉग इनिशियेटिव फाउंडेशन और राष्ट्रीय महिला आयोग के तत्त्वाधान मेंआयोजित संवाद परिचर्चा ‘सुरक्षा और समाज’ कार्यक्रम में रखे.कार्यक्रम का उद्देश्य ऐसी घटनाओं व स्त्रियों पर हो रहे अत्याचार और शोषण केखिलाफ समाज को जागरूक करना था। कार्यक्रम में  राजनीतिक , प्रशासनिक व सामाजिक रूप से अपना योगदान देने वाले कई वक्ता शामिल हुए।कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित हुआ।

बात को आगे बढ़ाते हुए तिवारी ने कहा कि निर्भया से हुई दरिंदगी के चलते 16  दिसंबर की तारीख पूरे देश को आज तक पीड़ा देती है। उन्होंने कहा कि अगर बेहतर संवाद हो तो समाज से महिला के खिलाफ हो रहे अत्याचारो को दूर किया जा सकता है। उन्होंने आईएएस इरा सिंघल का उदाहरण देते हुए कि अगर महिला को समानता का मौका मिले तो वो कामयाबी के झंडे गाढ़कर नए नए कीर्तिमान स्थापित कर सकती है।


मैक्स हॉस्पिटल की मनोचिकित्सक डॉ सौम्या मुदगल ने अपने वक्तव्य के माध्यम से समाज को अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराते हुए कहा कि निर्भया कांड के बाद इतने वर्षों में सरकार के द्वारा कितने नियम कायदे कानून बनाये गए लेकिन आज भी अखबार के पन्ने रेप व महिला उत्पीड़न की खबरों से भरे रहतें है । ऐसी घटनाओ का मुख्य कारण हमारी सोच है जो कहीं ना कहीं ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देती है। जितना इन घटनाओं के जिम्मेदार हम है उतना ही इन्हें रोकने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है।

रेडियो आरजे साएमा रहमान ने कहा कि सिर्फ 16 दिसम्बर ही नहीं बल्कि हर रोज कितनी निर्भया इसकी शिकार होती हैं । आज हमारे समाज मे लिंग भेद होता है जिसके चलते समाज  महिलाओं को पुरुषों से कमजोर समझता है और हमेशा उन्हें पीड़ा देता है शायद कहीं ना कही यही कारण है जो रेप और दहेज जैसी घटनाओं को  बढ़ावा देता है।

कार्यक्रम के फेस द ट्रुथ’ दूसरे सत्र में तेजाब पीड़ित महिलाओं ने अपने अनुभवों को लोगो के समक्ष रखा और सरकार से ऐसे मामलों में कठोरतम कार्यवाई करने की बात कही।

इस अवसर पर बोलते हुए रक्त राइट टू ब्लीड फ्रीली संस्था की प्रोजेक्ट हेड पूजा गुलाटी ने कहा आज के समय मे परिवार को खुल कर अपने बच्चों के साथ बात कर के उन्हें सही गलत का  अंतर बताना चाहिए।इसके अलावा उन्होंने कहा कि बच्चो की छोटी छोटी हरकतों को नजरअंदाज करके हम भविष्य में होने वाली बड़ी घटनाओं को बढ़ावा देतें हैं।।

कार्यक्रम का तीसरा और अंतिम ‘समाधान सत्र’ रहा जिसमे बोलते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा देश मे महिला सुरक्षा के लिए कानून भले ही बन रहे हो लेकिन इसके बावजूद भी हमारे समाज में नारी सुरक्षित नही है। जिस देश मे नारी को देवी का स्वरूप माना जाता है उस देश मे ही नारियों का सुरक्षित का ना होना वाकई चौकानें वाला होता है। उन्होंने कहा कि महिला बेचारी नही है और असल मे महिलाओ की रक्षा के लिए अब खुद महिलाओ को ही आगे आना होगा। 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने कहा कि महिला के समाजिक विकास के लिए उसका शिक्षित होना बहुत जरूरी है,महिला को पता होना चहिए की उसकी सुरक्षा कैसे हो सकती है और कहां से उसे नुकसान हो सकता है इसका उन्हें पता होना चहिए,महिला का स्वास्थ्य बेहतर होना चहिए,स्वावलंबी होना चहिए,महिला को खुद का सम्मान करना आना चहिए

उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य अवनी सिंह ने महिलाओ के लिए सरकार को आगे आकर महिलाओ के हित मे कड़े फैसले लेने होंगे।

डायलॉग इनिशिएटिव फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी राकेश योगी ने कहा कि हम सभी लोग सामाजिक रूप से एक दूसरे से जुड़े तो है लेकिन एक दूसरे से संवाद स्थापित नही है और इसी के कारण निर्भया ऐसी घटनाएं रोजाना जिंदगी का हिस्सा बन गयी है आज के इस संवाद के पीछे बहुत बड़ी पीड़ा छिपी है।

तीनो सत्रों की अध्यक्षता मानव रचना विश्वविद्यालय की डीन डॉ नीमो धर ने की. प्रथम और तृतीय सत्र का सञ्चालन माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय नॉएडा की सह प्रभारी श्रीमती रजनी नागपाल ने की. इस  अवसर पर फाउंडेशन  के सदस्य और बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.

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