मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री कमलनाथ को बनाए जाने को लेकर अकाली दल और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने आपत्ति जताई है। अकाली दल ने आरोप लगाया कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सिख विरोधी दंगों के फैलने में कमलनाथ का हाथ था।अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने पत्रकारों से कहा, ‘‘जब भी गांधी परिवार सत्ता में आता है, तो वह 1984 के दंगों के साजिशकर्ताओं को बचाता है। अब राहुल गांधी और गांधी परिवार कमलनाथ को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद का तोहफा देने जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी यह संदेश देना चाहते हैं कि 1984 में सिखों के मारे जाने में जो लोग शामिल थे उन्हें अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। …वे न केवल उनकी पीछे मौजूद हैं बल्कि उन्हें पुरस्कृत भी करेंगे।’’ सिरसा ने कहा सिख शांति प्रिय लोग हैं, लेकिन वे गांधी परिवार को माकूल जवाब देंगे। अगर गांधी परिवार, कमलनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में नामित करने का फैसला करता है तो इससे जनाकोश फैलेगा। गौरतलब है कि जब कमलनाथ को कांग्रेस का पंजाब और हरियाणा का महासचिव प्रभारी बनाया गया था तब सिखों के एक वर्ग ने इसका विरोध किया था। इसके बाद कमलनाथ से पंजाब का कार्यभार ले लिया गया पर हरियाणा के लिए महासचिव की जिम्मेदारी उनके पास बनी रहने दी गई।
सिरसा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी कमलनाथ को मध्यप्रदेश को मुख्यमंत्री बनाने जा रही है। कांग्रेस के इस कदम से स्पष्ट हो गया है कि वह जगदीश टाइटलर व सज्जन कुमार की तरह कमलनाथ को भी क्लीन चिट दे रही है। उन्होंने कहा कि दंगों की जांच के लिए गठित दो आयोग ने भी कमलनाथ की भूमिका को संदिग्ध बताया है। गवाहों के बयानों से भी स्पष्ट है कि दंगों के दौरान भीड़ में कमलनाथ भी शामिल थे।