अवस्थाओं के खंजर से घायल हिंदुस्तान के दिल से यही आवाज आती है कि राष्ट्रपति बदले प्रधानमंत्री बदले बदले मुख्यमंत्री भी लेकिन सरकारी कर्मचारी की तनख्वाह तो बदल गई हजारों से लाखों तक पहुंच गई मगर बदली नहीं देश की व्यवस्था.
नरेंद्र मोदी की सबसे प्रभावशाली योजना स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लगा रहे हैं. देश के गांव और शहरों को शौचालय मुक्त बनाने का दावा देश के प्रधानमंत्री का यह मिशन दम तोड़ता नजर आ रहा है. अव्यवस्थाओं को चलते जब अधिकारियों से यह सवाल पूछा जाता है तो न जाने कैसे है यह अधिकारी कागजों में स्वच्छ भारत मिशन की रेल को पटरी पर दौड़ा देते हैं. स्वच्छता को लेकर सबसे ज्यादा अस्पतालों को बताया जाता है लेकिन यहां के हालात बद से बतर होने के चलते अपनी अपबीती को बयां कर रहे है. यंहा लग्जरी दिखाई देने वाली टायलेट जो किसी बदबू के पिटारे से कम नहीं शौचालय में जगह-जगह गंदगी के पिटारे नजर आ रहे हैं.
स्वच्छ मिशन भारत के सीने में चाबुक खोप रहे हैं जब कैमरे की नजर आगे पड़ती है. तो तस्वीर और भी चौंकाने वाली नजर आती है. अस्पताल में मरीजों के लिए बने वार्ड बन्द नजर आ रहे है कहा जाता है कि जो जहां साफ सफाई होती है. वहां से आधी बीमारियां दूर हो जाती है लेकिन यह सब उल्टा दिखाई दे रहा है. वार्ड से लेकर आबास तक गंदी की हुकूमत देखने को मिलती है इतनी गंदगी है कि वहां के मरीज को बीमारी से निजात कैसे मिल सकती है. लापरवाही के साए में मद मस्त कर्मचारी आकर अपनी ड्यूटी पूरी कर चले जाते हैं जबकि यही कर्मचारी गांव-गांव जाकर स्वच्छ भारत मिशन की गाथा गाते हैं. और स्वम् उसको चुना लगाने से बाज नही आ रहे है जब समधित अधिकारियों से गन्दगी के संबंध में इनके मुंह से एक ही जवाब मिलता है. कि जाँच कर कर्यवाही करेंगे जब कि चुनावों के मौके पर झूठा वादा करके सता में शुख भोगने के लिए तो आते हैं लेकिन देश की लचर व्यवस्था को वहीं छोड़ कर चले जाते हैं.
अजय कुमार अलीगढ़
हिंद न्यूज टीवी