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मेरठ के कमिश्नरी पार्क में धरने पर बैठे सफाई कर्मचारी

मेरठ के कमिश्नरी पार्क में धरने पर बैठे सफाई कर्मचारी

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प्रधानमंत्री का मिशन है स्वच्छ भारत अभियान और इस मिशन में सबसे अहम भूमिका या यूं कहें इस मिशन की रीड की हड्डी है सफाई कर्मचारी । लेकिन इस सरकार में उन्हीं सफाई कर्मचारियों का उत्पीड़न हो रहा है ऐसा कहना है मेरठ के कमिश्नरी पार्क में धरने पर बैठे सफाई कर्मचारियों का।

मेरठ के कमिश्नरी चौराहे स्थित चौधरी चरण सिंह पार्क में अखिल भारतीय मजदूर कोंग्रेस के बैनर तले सांकेतिक रूप से अनशन पर बैठ गए हैं। अनशन पर बैठे सफाई कर्मचारियों का कहना है कि जिन भगवान वाल्मीकि ने भगवान राम के जन्म से 10 हजार साल पहले रामायण की रचना की थी और जिनके द्वारा लिखी गई रामायण से आज भगवान राम को दुनिया भर में लोग जानते हैं उन्हीं भगवान वाल्मीकि की जयंती पर भाजपा ने छुट्टी कैंसिल कर दी। जिससे वाल्मीकि समाज में भारी रोष है। वहीं सफाई कर्मचारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री से लेकर तमाम नेता हाथों में झाड़ू उठाकर सड़कों पर झाड़ू लगाते हैं और स्वच्छता का नारा देते हैं लेकिन वाल्मीकि समाज यानी के स्वच्छ कार गटर में उतरते हैं नालों में उतरते हैं और सफाई करते हैं और कई बार तो इन्हीं गंदे नालों में और गटर में अपनी जान तक गवा देते हैं लेकिन उन्हीं सफाई कर्मचारियों का इस सरकार में लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है।

आपको बता दें कि सपा सरकार में मेरठ के 2215 सफाई कर्मचारियों को यह कहकर संविदा से हटाकर आउटसोर्सिंग में कन्वर्ट कर दिया गया था कि वाल्मीकि समाज भाजपा का वोटर है लेकिन भाजपा की सरकार आने पर भी भाजपा ने उनको उनका हक नहीं दिया यानी भाजपा ने उनको वापस संविदा पर बहाल नहीं किया।

लेकिन किसी धरने में मौजूद पिछली सपा सरकार के पूर्व राज्य मंत्री प्रभुदयाल वाल्मीकि शायद यह भूल गए थे कि उन्हीं की सरकार में मेरठ के 2215 सफाईकर्मियों को संविदा से हटाकर आउटसोर्सिंग में बदला गया था और यह कह बैठे कि भाजपा ने सफाई कर्मचारियों को संविदा से हटाकर ठेके पर किया है। और भाजपा रोजगार देने के बजाय छीन रही है।

वहीं अब सफाई कर्मचारियों का कहना है कि अगर वाल्मीकि जयंती पर सरकार अवकाश घोषित नहीं करती है और 2215 कर्मचारियों की संविदा बहाल नहीं करती है तो इसका खामियाजा सरकार को 2019 के चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

प्रदीप शर्मा
मेरठ

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