नई दिल्ली। कल देश गांधी जयंती के साथ भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 115वीं जयंती मना रहा है। लाल बहादुर शास्त्री एक सीधी, सरल, सच्ची और निर्मल छवि वाले इंसान थे।उनकी ईमानदारी और खुद्दारी की लोग आज भी मिसाल देते हैं।सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले शास्त्री जी एक शांत चित्त व्यक्तित्व भी थे। शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को मुंशी लाल बहादुर शास्त्री के रूप में हुआ था।
शास्त्री जी का विवाह 1928 में ललिता शास्त्री के साथ हुआ। जिनसे दो बेटियां और चार बेटे हुए। एक बेटे का नाम अनिल शास्त्री है जो कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं। देश के अन्य नेताओं की भांति शास्त्री जी में भी देश को आजाद कराने की ललक थी लिहाजा वह 1920 में ही आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। उन्होंने 1921 के गांधी से असहयोग आंदोलन से लेकर कर 1942 तक अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान कई बार उन्हें गिरफ्तार भी किया गया और पुलिसिया कार्रवाई का शिकार बने।
बनारस के हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज में हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान उन्होंने साइंस प्रैक्टिकल में इस्तेमाल होने वाले बीकर को तोड़ दिया था। स्कूल के चपरासी देवीलाल ने उनको देख लिया और उन्हें जोरदार थप्पड़ मार दिया। रेल मंत्री बनने के बाद 1954 में एक कार्यक्रम में भाग लेने आए शास्त्री जब मंच पर थे, तो देवीलाल उनको देखते ही हट गए। शास्त्री ने भी उन्हें पहचान लिया और देवीलाल को मंच पर बुलाकर गले लगा लिया।
दिया ‘जय जवान जय किसान‘ का नारा
शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा। सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया। 11 जनवरी 1966 को शास्त्री की मौत ताशकंद समझौत के दौरान रहस्यमय तरीके से हो गई।