हरिद्धार । आरएसएस के सर कार्यवाह सुरेश भैय्या जी जोशी ने कहा कि विकास के लिए प्रकृति का शोषण नही दोहन होना चाहिए। प्राकृति के साथ सन्तुलन कर विकास की अवधारणा को आगे बढ़ना चाहिए। भारतीय मनीषियों व चिंतको का मानना भौतिक वादी विकास का न होकर आत्मीय विकास का रहा है। भारतीय विकास की अवधारणा को सही दिशा देने के लिए आवश्यक है कि शिक्षा व्यवस्था को सही करने की आवश्यकता है। वे आज बीएचईएल के कंवेंशनहाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ हरिद्वार द्वारा “विकास की अवधारणा भारतीय चिंतन के संदर्भ में” आयोजित नागरिक संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
संघ सर कार्यवाह सुरेश भैय्या जोशी ने कहा कि चिंतन में समाज हित देश, मूलभूत चितन करने की आवश्यकता पड़ती है। पण्डित दीन दयाल उपाध्याय का जिर्क करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतन सब के लिए है। चिंतन के प्रति व्यवस्थाएं परिवर्तित होती रहती है। पूंजीवाद ,बाजारवाद, साम्यवाद के नाम पर विकास होगा ,लेकिन उन्होंने विचार किया। मार्क्सवाद आपमणित नही किंतु चिंतन के परिपूर्ण न होने पर उन्होंने प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि चिंतन का दायरा कितना पूर्ण होना चाहिए कि उसमें भौतिक चिंतन के साथ साथ समाज के हर वर्ग का चिंतन होना चाहिए। जिन्हें विकसित देश माना जाता है उन्होंने आपने मापदण्ड पेश किए और थोप दिए। पूरी दुनिया की व्यवस्था को तीन हिस्सों में बांट दिया। विकसित देशों में समाज का, प्रकृति का शोषण हुआ। तो प्रश्न यह है कि क्या वास्तव में आज भी वह देश विकसित है तो वहां अपराध क्यों,जब सब सम्पन्न है तो मार-पीट छीना झपटी क्यों है। इस संदर्भ में भारतीय मनीषियों, चिंतको में सब के साथ आगे बढ़ने की अवधरणा का स्थान है। सब से मिल कर समाज बनता है। समग्रता की जबात आती है तो सभी की बात होती है। पशिचम देशों में मनुष्य की परिभाषा को अपने तरीके से प्रस्तुत कर विकास की अवधारणा बनाई जाती है। लेकिन भारत मे
मनुष्य के उपभोग के साधन कितने है। प्रति व्यक्ति कितनी ऊर्जा खपत होती है। कितनी चीनी की खपत होती है इससे मापदण्ड तय होते है।समाज मे जिसको कम से कम भौतिक कष्ट है उसे विकसित माना जाता है। मनुष्य को समय समय पर परिवर्तन की आवश्यकता होती है। मनुष्य के उपभोग के साधनों में लगातार परिवर्तन होता रहता है। आज पूरी दुनिया इसी में लगी है। जिसके पास इस प्रकार के साधन ने वह विकसित मनुष्य ही देश है। विकास के साथ अंत्यकर्ण मन भी भवनों को समझा होना।
भारतीय चिंतको ने बाहरी चिंतन के अलावा भीतरी चिंतन की बात कही। व्यक्ति की प्रश्नता का ज्ञान समग्रता से विकास की बात कही ,तन, मन बुद्वि, विकास की बात कही विकास में कही गई है। हमारे समाज मे नर से नारायण की ओर विकास के पथ पर ही जाने को विकसित माना जाता है। मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसे किसी की जानकारी नही होती। वह केवल आपने बारे में सोचता है। कुछ बड़ा होता है तो वह अपने शरीर के बारे में सोचता है। जैसे जैसे वह बड़ा होता है वह अपने बारे के अलावा दुसरो के विषय मे भी सोचता है। यही वास्तव में भारतीय चिंतन है। भारतीय चिंतको ने कभी भौतिक विकास का विरोध नही किया। तन स्वास्थ्य, मन स्वास्थ, ज्ञान-विज्ञान से परीपूर्ण आनंद का विचार भारतीय मनीषियों चिंतको ने रखी। प्रकृति की कीमत पर विकास करने से दुष्प्रभाव देखने को मिले। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने कहा जो चाहिए वो मिलेगा जितना चाहिए उतना मिलेगा। लेकिन आज विकास के नाम पर स्पर्धा चल रही है। प्रकृति को उजड़कर जो विकास का रास्ता तैयार।किया जा रहा है यह विकास नही विनाश है प्रकृति का शोषण नही दोहन करना चाहिए। भविष्य के लिए हम क्या छोड़ कर जाएंगे। इस का चिंतन हमे करना चाहिए। चिंतन करने वाले कहते है पुननिर्माण के लिए भी भूमिका होनी चाहिए। प्रकृति का सम्मान करो। मर्यादा है, जब इन्हें तोड़ देंगे तो विनाश ही होगा।
जीवन मे विकास के सूत्र है , सबको आगे आने का मौका मिलना चाहिए। विकास में एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलो। समाज के प्रति कुछ कर्तव्य है। व्यक्ति के विकास में समाज का विकास समाज के विकास में ही व्यक्ति की पहचान है।
दोनो जब साथ चलेंगे को गति कम होगी लेकिन सब साथ चलेंगे तो देश स्वालम्बी होगा। केंद्रीयकृत व्यवस्था सही नही विकेंद्रीकरण होना चाहिए। अनैतिक मूल्यों पर चलने वाला समाज नही जो सकता शिक्षा व्यवस्था सही होनी चाहिए। कृषि के सन्दर्भ में कुछ सोचने की आवश्यकता है। विज्ञान का उपयोग सही दिशा में हो। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि देश के विकास में मनीषियों व चिंतको ने जो मार्ग प्रसशक्त किया था। वह अपने आप ने परिपूर्ण है। कार्यक्रम का संचालन जिला कार्यवाह अंकित सै Drनी ने किया। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत जिला संघ संचालक कुँवर रोहिताश ने किया। कार्यक्रम में प्रान्त प्रचारक युद्ववीर जी, विभाग संघ चालक रामेश्वर कुलश्रेष्ठ, क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख पदम जी, क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख जगदीश जी, जिला प्रचारक राज पुष्प, जिला प्रचार प्रमुख अजय शर्मा, विभाग प्रचारक शरद जी आदि उपस्थित रहे।