मेघालय के सुदूर स्थित कांगथोंग गांव में अपने बच्चों को बुलाने और बात करने के लिए नाम का प्रयोग नहीं करते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसे कैसे हो सकता है, तो हम बताते हैं। दरअसल, मेघालय के सुदूर स्थित कांगथोंग गांव में एक अनोखी परंपरा है। यहां पर लोग अपने बच्चों को बुलाने और बात करने के लिए एक खास तरह की धुन का प्रयोग करते हैं।
#WATCH Villagers in #Meghalaya‘s Kongthong use unique tunes, a hum to communicate or call out to each other instead of using names. Villager says, “Mothers devise unique tunes to call out their children, these tunes are used instead of names. Each tune is specific to a person.” pic.twitter.com/NpsmtVDAQD
— ANI (@ANI) 25 September 2018
यहां के हर व्यक्ति के लिए एक खास धुन है। ये धुन चिड़ियों के चहकने जैसी होती है। साथ ही इस गांव में महिलाएं ही परिवार की मुखिया होती हैं जो कि अपने बच्चों के लिए एक खास तरह की धुन बनाती है और इसी धुन से बच्चे को बुलाया जाता है। ये परंपरा सदियें से चली आ रही है।
हालांकि, जब बच्चा गलती करता है तो तब उसे उसके नाम से ही बुलाया जाता है, जिससे उसे पता चलता है कि उसने गलती की है। इस गांव के लोग करीब 30 सेकंड तक चलने वाली लंबी धुन का प्रयोगी करते हैं। इस परंपरा को ‘कबीले की पहली महिला का गीत’ कहा जाता है।