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इस गांव में बच्चों को नाम से नहीं बुलाते हैं खास धुन से, जाने क्यों

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मेघालय के सुदूर स्थित कांगथोंग गांव में अपने बच्चों को बुलाने और बात करने के लिए नाम का प्रयोग नहीं करते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसे कैसे हो सकता है, तो हम बताते हैं। दरअसल, मेघालय के सुदूर स्थित कांगथोंग गांव में एक अनोखी परंपरा है। यहां पर लोग अपने बच्चों को बुलाने और बात करने के लिए एक खास तरह की धुन का प्रयोग करते हैं।

यहां के हर व्यक्ति के लिए एक खास धुन है। ये धुन चिड़ियों के चहकने जैसी होती है। साथ ही इस गांव में महिलाएं ही परिवार की मुखिया होती हैं जो कि अपने बच्चों के लिए एक खास तरह की धुन बनाती है और इसी धुन से बच्चे को बुलाया जाता है। ये परंपरा सदियें से चली आ रही है।

हालांकि, जब बच्चा गलती करता है तो तब उसे उसके नाम से ही बुलाया जाता है, जिससे उसे पता चलता है कि उसने गलती की है। इस गांव के लोग करीब 30 सेकंड तक चलने वाली लंबी धुन का प्रयोगी करते हैं। इस परंपरा को ‘कबीले की पहली महिला का गीत’ कहा जाता है।

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