यूं तो बॉलीवुड में प्यार-मोहब्बत की कहानी पर सैकड़ों फिल्में बन चुकी है और दर्शको के बीच हर फिल्म की अपनी एक अलग पहचान होती है। अगर इस कड़ी में डायरेक्टर साजिद अली और प्रोड्यूसर इम्तियाज़ अली द्वारा निर्मित फिल्म ‘लैला-मजनू’ को शामिल किया जाये तो कुछ नई बात नहीं होगी। यह फिल्म 1976 में बनी ऋषि कपूर और रंजीता की फिल्म ‘लैला-मजनू’ से बिल्कुल अलग है।
अगर देखा जाये तो प्रोड्यूसर इम्तियाज़ अली ने लैला-मजनू की कहानी को एक नया अंदाज़ दिया है, जिसमे नए जमाने की पीढ़ी की लव स्टोरी के जरिये कहानी को बताने की कोशिश की गयी है। फिल्म की कहानी में आज के युवा प्रेम को दिखाया है। बात की जाये लैला-मजनू की कहानी की तो यह फिल्म कश्मीर की पृष्ठभूमि पर बनी दो ऐसे दुश्मन परिवारों की है जिनके बच्चे एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं। फिल्म में अविनाश तिवारी (मजनू) को तृप्ति डिमरी (लैला) से एक ही नज़र में प्यार हो जाता है, जिसकी खबर घरवालो को पता लगने पर दोनों प्रेमियों को बिछड़ना पड़ता है और इसके बाद लैला (तृप्ति डिमरी) का निकाह इब्बन (सुमित कौल) से हो जाता है जिसके बाद फिल्म में एक नया मोड़ आता है।
फिल्म ‘लैला -मजनू’ से अविनाश तिवारी और तृप्ति डिमरी ने बॉलीवुड में डेब्यू किया है। इस नज़र से देखा जाये तो अविनाश और तृप्ति ने लैला और मजनू के किरदार को बखूबी निभाया है,साथ ही सुमित कौल ने उसके पति के किरदार की भूमिका में अच्छा काम किया है।
‘लैला-मजन’ के फिल्मांकन की बात करे तो यह फिल्म कश्मीर की पृष्ठभूमि के दो प्यार करने वालो की कहानी बयां करती है। लेकिन ‘लैला-मजनू’ के फिल्मांकन में कश्मीर की ख़ूबसूरती को कैमरे में कैद करने में थोड़ी कंजूसी की गयी है।
बात ‘लैला-मजनू’ के संगीत की कि जाये तो निलाद्री कुमार, जोई बरुआ और अलिफ़ का संगीत फिल्म में नयी जान डालता है। ‘आहिस्ता’ और ‘ओ मेरी लैला’ जैसे गाने दर्शको के दिल जीतने में बेहद ही खास है। अगर आप आज की तमाम तरह की बायोपिक्स जैसी फिल्मो से बोर हो चुके है और लव स्टोरी को परदे पर देखने विश्वास रखते है तो फिल्म “लैला-मजनू” आपका अच्छा मनोरंजन कर सकती है।