नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नोटबंदी पर रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि इसका सूक्ष्म और मझोले उद्योगों पर भारी असर हुआ। जिससे देश को भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
आरबीआई की इस रिपोर्ट पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने गहरी चिंता जताई है। शिवसेना सांसद ने कहा है कि आईबीआई की रिपोर्ट घोर चिंता जनक है। इसमें सैकड़ों लोगों की जानें चली गईं। हम इस पर संसद में बहस की मांग करते हैं।
गौरतलब है कि 16 नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया था। उसके स्थान पर 500 के नए नोट और 1000 के स्थान पर 2000 रुपये के नोट जारी किए गए थे। पुराने नोट को तत्काल प्रभाव से ही चलन से हटाकर उनके स्थान पर 500 के नए और 2000 के नोटों को चलन में लाया गया।
जिनके पास 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट थे, उनको बैंक में जमा करने के लिए कहा गया था। जिसके बदले में 500 के नए और 2000 के नोट दिए जा रहे थे। नोट को बदलकर नया नोट लेने के लिए देश की जनता को कई दिनों तक बैंकों का चक्कर काटना पड़ा था। परेशानी इतनी अधिक हो गई थी कि लोग बिना खाना पीना के ही लाइन में लगे रहते थे, जिससे कई लोगों की तबीयत बिगड़ गई थी और देशभर में तकरीबन 150 लोगों की जान चली गई थी।
इतना ही नहीं उस समय शादियों का सीजन था, तो कई लोगों के यहां शादियां वापस हो गई थी। जिसके घर पर किसी की मौत हो गई थी तो उसके शव के दाह संस्कार के लिए पैसे नहीं मिल रहे थे। जैसे-तैसे लोग उसका इंतजाम कर रहे थे।
इन्हीं सब बातों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर और पीएम मोदी पर हमले करता रहा। लेकिन पीएम ने इसके कई फायदे भी गिनाये थे। जैसे- कालाधन को खत्म करना, आतंकवादी गतिवधियों पर विराम लगना, नक्सलवाद की कमर तोड़ना आदि। लेकिन आज तक एक भी फायदा नजर नहीं आया। न तो कालाधन खत्म हुआ, न ही आतंकवादी गतिविधियों पर विराम लगा और न ही नक्सवादियों की कमर टूटी।