आज देशभर में कजरी तीज का त्योहार मनाया जा रहा है। ये त्योहार हर साल भादो मास में कृष्ण तुतीया को मनाई जाती है। तीज तीन तरह की होती हैं- हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज। जिस तरह करवा चौथ के व्रत की मान्यता है कि पत्नी के व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है। ठीक उसी तरह कजरी तीज की भी यही मान्यता है।
इस व्रत की मान्यता ये भी है कि पति की लंबी आयु के साथ-साथ इस व्रत से कुंवारी कन्याओं को भी अच्छा वर मिलता है। इस दिन महिलाएं उपवास रखती है। देवी की आराधना करने के साथ वो झूला झूलती हैं और कजरी भी गाती है। कजरी तीज को बूढ़ी और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का नाम कजरी तीज आसमान में घूमती काली घटाओं के कारण पड़ा।
इस व्रत में भी करवा चौथ की ही तरह निर्जल व्रत रखा जाता है। हालांकि, जो महिलाएं गर्भवती होती हैं वो फल खा सकती हैं। रात को चांद को देखकर और उसे अर्घ्य देकर ये व्रत खोला जाता है। ढोलक, चिमटों के साथ कजरी गीत गाएं जाते हैं। महिलाओं के लिए इस व्रत का खास महत्व होता है।