नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान अपनी रैलियों में लोगों से वादा किया था कि उनकी सरकार हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देगी। सरकार लगातार दावा भी करती है कि उसने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार दे भी दिया है। वहीं विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी के मुद्दे पर लगातार सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाती रही हैं। और इसी बीच सोमवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा जो आकड़े अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए है उसने सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।
दरअसल, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल सितंबर से लेकर इस साल जून तक देश में 47.13 लाख नए रोजगार पैदा हुए। हालांकि उसने सितंबर 2017 से मई 2018 के बीच के रोजगार अनुमान में कमी की है। इस दौरान 39.20 लाख रोजगार पैदा हुए जबकि पहले उसने 44.74 लाख नौकरियां पैदा होने का अनुमान लगाया था।
ईपीएफओ के सितंबर-मई के आंकड़ों के मुताबिक उसकी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए 39.20 लाख नए कर्मचारी जुड़े। उसके सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून में सबसे ज्यादा 7,93,308 नए कर्मचारी उसकी योजनाओं में शामिल हुए। जून में सर्वाधिक 253,466 लाख नए कर्मचारी 18 से 21वर्ष की आयु के थे। 22 से 25 साल के आयु वर्ग में 2,05,177 कर्मचारी जुड़े। ईपीएफओ हर महीने पहले प्रोवीजनल डाटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करता है। अगले महीने में उसे अपडेट करता है। इसी क्रम में सितंबर-मई के रोजगार संबंधी आंकड़ों में अंतर आया है।