देवरिया बालिका गृह काण्ड में जिला अधिकारी का एक पत्र सामने आने पर इस केस में एक नया मोड़ सामने आया है। जिला अधिकारी देवरिया ने एक साल पहले दो पत्र जिले के एसपी को लिखा गया था जिसमे पहला पत्र 22-8 -17 का है जिसमे जिला अधिकारी देवरिया ने इंगित करते हए कहा है की स्वेछिक संगठन माँ विन्धवासनी महिला प्रसिक्षण एव समाज सेवा संस्थान बंद करवाकर इसमें जो भी बालक, बालिकाएं रह रही है उनको दुसरी जगह शिफ्ट किया जाए। लेकिन इसके बावजूद जिले के पुलिस कप्तान ने कोई पहल नहीं की ये बड़ा प्रश्न है आखिर क्या कारण थे की पुलिस ने कोई कार्यवाही क्यों नहीं की। सीबीआई जांच के सिकंजे में आने के बाद भी ये संस्था कानून को ठेंगा दिखाकर चलती रही।
जिला अधिकारी देवरिया ने दूसरा पत्र लिखा जिसमे साफ़ दर्शाया गया था की जनपद के कुछ थानों द्वारा अवैध रूप से बच्चो को संस्था में देने का प्रकरण प्रकाश में आया है, जो अत्यंत खेद का विषय है एव किशोर न्याय अधिनियम तहत 2015 में उल्लेखित विभिन्न धाराओं और नियमो का उल्ल्घंन है, जिला अधिकारी ने अपने पत्र के माध्यम से साफ़ किया है की जो भी बच्चे इस तरह के है उनको दूसरों जिलों के सस्थाओं में संचालित है वहां भेजा जाय। लेकिन इसके बावजूद भी किसी ने इस पत्र को सज्ञान में नहीं लिया, और जब मामला खुला तो प्रदेश सरकार की जो किरकिरी हुई वो सबके सामने है।
वहीं जिलाधिकारी के सज्ञान में आया की अभी जिले के पुलिस बच्चियों को भेज रही है जिसपर उन्होंने 19 सितम्बर 2017 को पत्र एसपी को लिखा की जिले के सभी थाना अध्य्क्ष को निर्देशित करे की कोई भी माँ विंध्वसनी बल संरक्षण गृह में न भेजे इस पत्र के बावजूद थाने की पुलिस ने माँ विनवासनी संसथान में भेजते रहे।
अब प्रश्न ये उठता है
क्या जिले के पुलिस अधीक्षक बड़ी घटना का इंतजार कर रहे थे क्या ?
दूसरा सवाल क्या तेज तरार माने जाने वाले पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय के कार्यकाल में लड़कियो और बच्चों को भेजा गया था ?
तीसरा सवाल क्या अगर गलत था तो इसका ज़बाब पुलिस के पास नहीं है ?
हिंद न्यूज टीवी के लिए देवरिया के घनश्याम मिश्रा