सेना के 356 जवान और अधिकारी अपने हितों को सुरक्षित किये जाने की गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने दायर याचिका में मांग की है कि देश की सुरक्षा के लिए आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) के तहत कर्तव्य निर्वहन में किये गए कार्य के लिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई कर उनका उत्पीड़न न किया जाए। उच्चतम न्यायालय ने जवानों की मांग को मानते हुए याचिका पर 20 अगस्त को सुनवाई करने का फैसला लिया है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की पीठ ने वकील ऐश्वर्या भाटी की इन दलीलों पर विचार किया कि सेना के जवानों पर अशांत इलाकों में ड्यूटी निभाने के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि प्राथमिकी दर्ज करना और सेना के जवानों पर अभियोग चलाना अफस्पा के प्रावधानों के खिलाफ है क्योंकि उन्हें आधिकारिक ड्यूटी के दौरान कार्रवाई करने के लिए उन पर मुकदमा दर्ज करने से छूट मिली हुई है। साथ ही कहा गया कि ऐसे मुकदमे सेना और अद्र्धसैन्य बलों का मनोबल गिराएंगे।
A petition has been filed on behalf of 355 serving Army officials regarding protection in Armed Forces (Special Powers) Acts (AFSPA) areas where soldiers are operating in anti-insurgency, militancy&proxy war situations. SC has listed the matter for Aug 20: Aishwarya Bhati, Lawyer pic.twitter.com/cu1hUPBSVm
— ANI (@ANI) 14 August 2018
इस याचिका में मांग की गई है कि सरकार को आदेश दिया जाए कि वह सैनिकों के खिलाफ दुर्भावना से प्रेरित अभियोजनों और एफआईआर को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए। केन्द्र की पूर्व इजाजत के बगैर अफस्पा में प्राप्त शक्तियों के तहत की गई कार्रवाई के लिए कोई एफआईआर या अभियोजन नहीं होगा। उन लोगों और संस्थाओं के खिलाफ जांच हो जो कर्तव्य निर्वहन में लगे सैनिकों को दुर्भावनापूर्ण शिकायतें दाखिल कर निशाना बना रहें हैं।