नई दिल्ली। असम में एनआरसी ड्राफ्ट पर मचे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करेगा।
30 जुलाई को जारी किये गए दूसरे और अंतिम ड्राफ्ट में असम में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए हैं। जिसमें लगभग 40 लाख लोगों के नाम नहीं शामिल किए गए हैं।
इससे पहले 31 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने देखा कि उन लोगों द्वारा आपत्तियां दर्ज करने की प्रक्रिया जिनके नाम एनआरसी ड्राफ्ट में सूचीबद्ध नहीं हैं, वह बिल्कुल उचित होना चाहिए।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की एक खंडपीठ ने केंद्र के दावों और आपत्तियों के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया।
इसने असम एनआरसी समन्वयक, प्रतेक हाजेला और केंद्र सरकार को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिया था कि वे आपत्तियों को दर्ज करने के लिए अनुसरण करेंगे।
असम के लिए एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर, 2017 और 1 जनवरी की मध्यरात्रि रात को जारी किया गया था, जिसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल थे।
असम के लिए एनआरसी ड्राफ्ट में सभी भारतीय नागरिकों के नाम, पते और तस्वीरें शामिल हैं, जो 25 मार्च, 1971 से पूर्वोत्तर राज्य में रह रहे हैं।