अनंतनाग। नेशनल कांफ्रेंस के नेता बशीर अहमद वीरी ने कहा कि वे सभी लोग, जिन्होंने कश्मीर से जुड़े विभिन्न मुद्दों के लिए लड़ाई लड़ी और उनकी जान चली गई। उन सभी को शहीद कहा जाना चाहिए।
हम 1953 से यह कह रहे हैं जब लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित प्रधानमंत्री (शेख अब्दुल्ला) को गिरफ्तार किया गया था। क्या हमें उनको शहीद नहीं कहना चाहिए, जो 1953 से कश्मीर में मारे जा रहे हैं? क्या उन्हें शहीद नहीं कहा जाना चाहिए। क्या वे अपने निजी स्वार्थ के लिए लड़ रहे हैं।
वीरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यहां कुछ कारण हैं क्योंकि लोग यहां गर्म खून बह रहे हैं। सभी ‘शहीद’ हैं जो कश्मीर मुद्दे पर यहां लड़ रहे हैं। यहां पर कोई भी अपराध नहीं कर रहा है।
राष्ट्रीय सम्मेलन के नेताओं ने सप्ताहांत में संविधान के अनुच्छेद 35 ए में हस्तक्षेप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद उन्होंने यह बयान दिया, जो जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष दर्जा प्रदान करता है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट याचिकाओं सुनवाई के लिए तैयार है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 35-ए की वैधता को चुनौती दी गई है।