क्या आप जानते हैं कि शिव जी ने माता पार्वती से कहा और कैसे विवाह किया था। कैसे का जवाब तो हम सबको बखुबी पता है, क्योंकि शिव विवाह की कथा भी हम सभी लोग जानते हैं। लेकिन शिव की शादी रुद्रप्रयाग में स्थित ‘त्रियुगी नारायण’ एक पवित्र जगह में हुई थी, इस बात सब अंजान हैं।
माना जाता है कि सतयुग में जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था तब यह ‘हिमवत’ की राजधानी था। इस जगह पर आज भी हर साल देश भर से लोग संतान प्राप्ति के लिए इकट्ठा होते हैं और हर साल सितंबर महीने में बावन द्वादशी के दिन यहां पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।
आज भी जलती है विवाह मंडप की अग्नि
बताया जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए त्रियुगी नारायण मंदिर से आगे गौरी कुंड कहे जाने वाले स्थान पर माता पार्वती ने तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव ने इसी मंदिर में मां से विवाह किया था और उस हवन कुंड में आज भी वही अग्नि जल रही है।
लगा रहता है लोगों का जमावड़ा
संतान प्राप्ति के लिए इस अग्नि का आशीर्वाद लेने के लिए देश के हर हिस्से से लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान केदारनाथ की यात्रा से पहले यहां दर्शन करने से ही प्रभु प्रसन्न होते हैं।