व्यभिचार को लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि इस मामले को सात जजों की संविधान पीठ में भेजा जाएगा।
पांच जजों की संविधान पीठ में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि 157 साल पुराने कानून को पांच जजों की पीठ पहले ही बरकरार रख चुकी है, इसलिए इसके लिए सात जजों की संविधान पीठ के गठन पर विचार किया जाएगा।
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता की इस दलील को माना कि सहमति से बनाए गए संबंधों के सिविल नतीजे भी निकलते हैं और किसी अन्य व्यक्ति से यौन संबंध बनाना तलाक का भी आधार बनता है लेकिन ये धारा सिर्फ पुरुष पर लगती है महिला पर नहीं।
अपको बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर याचिका को खारिज करने की मांग की थी। फिलहाल महिला और पुरूष दोनों को इस धारा के अंतर्गत एक समान दोषी मानने की याचिका पर सुनवाई शुरू हो चुकी है।