राजस्थान के अलवर में बड़े पैमाने पर गौकशी का खेल चल रहा हैं। आज पुलिस की एक टीम ने जब दो गोदामों में छापा मारा या तो वहां से पुलिस को पशुओं की 350 खालें मिली। गोदामों में पशुओं की खालों का ढेर देख कर छापा मारने गयी टीम के भी होश उड़ गए। जब पशुओं की खालों को गिना गया तो उसमें से उन्हें 1, 2 नहीं 10, 20 भी नहीं बल्की 221 गायों की खाल मिली। वहीं, 82 खालें भैंस-पाड़ा व 47 खालें बकरी की थी। एक साथ गाय सहित अन्य पशुओं की इतनी खालें मिलने के बाद से ऐसा माना जा रहा हैं कि प्रदेश का यह अब तक का सबसे बड़ा गोकशी का मामला हैं।
अलवर के गोविन्दगढ़ के हरिजन मोहल्ला स्थित बड़बरा रोड अंबेडकर कॉलोनी निवासी सकील के घर 40 किलो गोमांस व एक गाय की खाल मिलने के बाद पुलिस ने बुधवार को मोहल्ले के दो गोदामों को खंगाला। केवल दो गोदामों से गाय की 221 खालें बरामद हुई। पुलिस के दिए बयान में इन्होंने कबूला कि, गाय को मारकर ये लोग उसके मांस को बेच देते और उसकी खाल को गोदाम में रख देते थे। पुलिस पूछताछ में मुख्य आरोपी सकील ने बताया कि वह गाय को मारने के बाद उसका मांस बेचता था और खाल को 100 से 150 रुपए में सलीम कसाई को बेचता था। साथ ही सकील ने पूछताछ में यह भी कबूला कि उसने चार गाय काटी हैं। साथ ही सलीम ने पुलिस को यह भी बताया कि वह और उसका परिवार मांस बेचता था। उसके पास गोमांस के भी ऑर्डर आते थे। ये ऑर्डर ज्यादातर मेवात क्षेत्र के गांवों से मिलते थे।
पुलिस नें जब गोदाम में छापा मारा चो इनके पशुओं का खालों को देखकर वो भी चौंक गए थे। जिसके बाद पशु चिकित्सक डॉ. चौहान को बुलाया गया। पशु चिकित्सक के अनुसार गोदाम में मिली सभी खालें अधिकतम एक माह पुरानी थी। इनमें से कुछ खालों पर नमक लगा हुआ था। वहीं, कुछ मुलायम थी। इससे यह बात भी साफ हो गई कि गायों सहित इन सभी पशुओं का वध एक माह के भीतर किया गया था। डॉ. चौहान ने बताया कि खाल पर नमक लगाने से उसमें बदबू नहीं आती और कीड़े नहीं लगते। दरअसल, गर्मी में खाल 5-7 दिन में सूख जाती है।