भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी बुधवार को ब्याज दरों का ऐलान कर दिया है। आरबीआई ने बुधवार को वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में 25 आधार अंकों की वृद्धि की, जिसके बाद रेपो दर 6.5 फीसदी हो गई है।
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बताया कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर अवधि में जीडीपी वृद्धि दर 7.5-7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान बताया हैं। वहीं रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया हैं। रिजर्व बैंक की द्वैमासिक नीतिगत बैठक के नतीजों से पहले शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 80 अंक की बढ़त लेकर नये सर्वकालिक उच्च स्तर 37,690.23 अंक पर पहुंच गया। निफ्टी भी नये उच्चस्तर पर 11,378.95 अंक पर पहुंच गया।
क्या होता हैं रेपो रेट
बैंको को अपने रोजमर्रा के कामकाज के बड़ी-बड़ी रकमों की ज़रूरत पड़ जाती है। और ऐसी स्थिति में जब भी उन्हें पैसों की जरूरत होती है वो भारतीय रिजर्व बैंक के पास जाते हैं। आरबीआई जिस ब्याज दर पर बैंको को लोन देता हैं उसे रेपो रेट कहते हैं। यानि जब बैंकों को कम दर पर लोन मिलेगा तो इसका फायदा ग्राहको को देने के लिए कम ब्याज दरों पर लोन देते हैं। ताकि ऋण लेने वाले ग्राहकों में ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ोतरी की जा सके। इसी तरह यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगा, तो बैंकों के लिए ऋण लेना महंगा हो जाएगा, और वे भी अपने ग्राहकों से वसूल की जाने वाली ब्याज दरों को बढ़ा देंगे।
कैसे पड़ेगा आप पर असर
मान लीजिए अगर आपने बैंक से 20 लाख रुपये का होम लोन 8.4 फीसदी की ब्याज दर पर 20 सालों के लिया है तो ऐसे में आप अभी हर महीने 17,230 रुपये बैंक को ईएमआई के रूप में देते हैं।
आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बाद अगर आपका बैंक भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता हैं तो ऐसे में आपकी ब्याज दर भी बढ़ जाएगी। मान लीजिए बैंक ने 25 बेसिस पॉइंट के हिसाब से बढ़ोतरी की, तो उपरोक्त उदाहरण के हिसाब से आपकी ब्याज दर 8.65 फीसदी हो जाएगी।
जिसके बाद आपको हर महीने 17,230 की किश्त के बजाय 17,547 रुपये देने होंगे। इस तरह आपको हर महीने 317 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे। आपके लोन की रकम जितनी ज्यादा होगी आप पर ईएमआई का बोझ उतना ही ज्यादा बढ़ेगा।