असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन(एनआरसी) को लेकर छिड़ी राजनीतिक जंग और ममता बनर्जी के तीखे बयानों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्षी दलों से एक अहम सवाल पूछा है।
शाह ने कहा है कि क्या राजनीतिक दल बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश में रखना चाहते हैं।
शाह ने कहा, कांग्रेस और दूसरे दल घुसपैठियों को वोट बैंक की तरह देखते हैं और भाजपा इसे सुरक्षा समस्या के रूप में। भाजपा के मन में कोई दुविधा नहीं है।
वह शरणार्थी और घुसपैठियों में अंतर समझती है और मानती है कि देश की जनता के अधिकार की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती है। फिलहाल भाजपा व बीजद ने ही इसका समर्थन किया है। दूसरे दलों को जवाब देना होगा कि उनकी प्राथमिकता क्या है।’
इस ही बीच संसद के अंदर कई दलों ने एनआरसी पर सवाल उठाया तो बाहर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृहयुद्ध व रक्तपात तक की चेतावनी दे दी। ऐसे में शाह ने विरोधी दलों को कठघरे में खड़ा किया।
संसद में विपक्ष के शोर शराबे के कारण वह ज्यादा तो नहीं बोल सके लेकिन संसद के बाहर उन्होंने ममता से पूछा कि वह स्पष्ट करें कि किस तरह के गृहयुद्ध की बात कर रही हैं। ऐसी राजनीति देश के लिए खतरनाक है।
विदेशियों को भारतीयों का हक नहीं मारने दे सकते
घुसपैठ के खिलाफ भाजपा का रुख कितना सख्त है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शाह ने अपनी बात की शुरुआत ही उन 40लाख लोगों से की जिनकी नागरिकता खत्म होने का सवाल उठाया जा रहा है। शाह ने कहा, ये वे लोग हैं जो भारतीय होने का सुबूत नहीं दे सके हैं और ऐसे में उन्हें घुसपैठिया माना जाएगा।
यह सब कुछ सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय मानकों के आधार पर हुआ है। हालांकि उनके पास अभी वक्त है कि सुबूत दें। जो लोग दूसरे राज्यों से आकर रोजी-रोटी कमा रहे हैं उन्हें खतरा नहीं है। लेकिन जो विदेशी हैं उन्हें भारतीयों का हक मारने की इजाजत नहीं दी जा सकती।