सरकार ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे ही हैं। एनडीए के दलित सांसदों के साथ साथ विपक्षी दल भी लगातार सरकार पर इस मुद्दे को लेकर दबाव बना रहे थे। साथ ही सरकार के सहयोगी दल भी इसमें संशोधन की मांग कर रहे थे। लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस बाबत एक पत्र भी लिखा था। पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार की दलित विरोधी छवि बनने की बात कही थी।
सरकार इस संशोधित बिल को लाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले की स्थिति बहाल करने की कोशिश में हैं। साथ ही सरकार ने दलित संगठनों से अपील की है कि अब वह 9 अगस्त को होने वाले बंद को वापस ले लें।
गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट ने साल की शुरुआत में ही एससी-एसटी एक्ट के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया था, जिसके पीछे कोर्ट ने तर्क दिया था कि एक्ट का दुरुपयोग किया जा रहा हैं। कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों ने कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके चलते कई जगह हिंसक घटनाएं भी सामने आई थीं। कोर्ट के उस फैसले के बाद से ही मोदी सरकार बैकफुट पर नजर आ रही थी। मोदी सरकार पर कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहे थे।