लखनऊ। राजनीतिक गलियारों में हमेशा से ही यह कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। इसलिए विपक्ष देश के अन्य राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियां शुरू कर दी है। भाजपा को उत्तर प्रदेश की हर सीट पर हराने को विपक्ष एकजुट होने लगा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्ष का महागठबंधन अब लगभग तय माना जा रहा है। इस महागठबंधन में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा कांग्रेस के साथ राष्ट्रीय लोकदल का भी शामिल होना लगभग तय हो गया है।
लेकिन अभी सबसे बड़ी अड़चन का इंतजार है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। इनमें से फिलहाल भाजपा और सहयोगी दल के पास 71 सीटें हैं। जिसमें से 69 भाजपा के पास और दो सीटें उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल के पास हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा को एक भी सीट नसीब नहीं हुई थी। वहीं कांग्रेस को महज दो सीटों पर संतोष करना पड़ा था। रालोद को भी एक सीट नहीं मिली थी। लेकिन कैराना उपचुनाव में सबके एक साथ आने से रालोद के पास फिलहाल एक लोकसभा सीट है।
इन दलों में अभी 80 सीटों के बंटवारे पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि महागठबंधन में कांग्रेस को आठ सीटें मिलेंगीं। समाजवादी पार्टी को 30 सीटें और बहुजऩ समाज पार्टी को 40 सीटें मिल सकती हैं, जिसके पास गठबंधन में सबसे अधिक सीटें होंगी।
जबकि समाजवादी पार्टी अपने कोटे की एक-दो सीटें राष्ट्रीय लोकदल को दे सकती है। इनके चार प्रत्याशी मैदान में उतरने की संभावना है।
हाल ही में संपन्न हुए उपचुनावों में गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में भाजपा को हराने के बाद गठबंधन के हौसले बुलंद हैं। गोरखपुर सीट पर भाजपा की हार को सपा-बसपा गठबंधन ने खूब कैश कराया था। विपक्ष एकता की कोशिश में जुटे एनसीपी नेता शरद पवार और बसपा प्रमुख मायावती के बीच बीते हफ्ते नई दिल्ली में भेंट की थी।