उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों की तरह बलिया में भी आजादी के पहले से ही मुस्लिम धर्म के नाम पर दर्जनों इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय सभी नियमों को तोड़ते हुए चल रहे हैं। जुम्मे के नवाज के लिए शुक्रवार को स्कूल की छुट्टी कर दी जाती है तो रविवार को स्कूल खुला मिलता है।
हमारी पड़ताल में एक इस्लामिया स्कूल के प्रिंसिपल ने यह खुलासा किया है कि छुट्टी की परंपरा बदली तो ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया। तो स्थानिये मुस्लिम बुजुर्गो ने तो यह तक कह डाला कि अगर इस्लामिया नाम हटा तो वह विरोध करेंगे, क्योंकि सरकार मुसलमानों को हिन्दू बनाना चाहती है।
आजादी के पहले बनें इस स्कूल को देखिए यह स्कूल इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय सेमरी है जो बेरुरबारी स्तिथ सेमरी गांव में है। इस स्कूल के प्रिंसिपल की माने तो इनकी नियुक्ति के पहले से ही इस स्कूल में बाकी बिसयों की तरह उर्दू की पढ़ाई होती थी और मुस्लिम बहुल इलाके के वजह से जुम्मे के दिन नवाज के लिए स्कूल की छुट्टी रहती थी और रविवार को पढ़ाई होती थी।
मगर दो साल पहले इस स्कूल में जुम्मे के नवाज के दिन छुट्टी की परंपरा ख़त्म की गई तो इसका स्थानीय मुस्लिम लोगों ने जमकर विरोध किया और आज एक बार फिर सरकार के इस्लामिया शब्द हटाने के आदेश के बाद वह विरोध पर अड़े हुए हैं।
हिन्द न्यूज टीवी के लिए बलिया से अमित कुमार की रिपोर्ट