भारत में एक तरफ जहां सरकार लोगों को बुलेट ट्रेन का सपना दिखा रही हैं वहीं हमारे देश में ट्रेनें की रफ्तार क्या हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि एक मालगाड़ी को 1400 किमी की दूरी तय करने में साढ़े 3 साल लग गए। भारतीय रेल कितनी रफ्तार से चल रही हैं इसकी सच्चाई बुधवार को सामने आयी हैं। ऐसे में सवाल उठने लगे है कि आखिर एक वैगन मालगाड़ी में लगा हुआ कहां-कहां भटकता रहा, इसे लेकर रेलवे के अधिकारी भी आश्चर्यचकित हैं। वैगन में करीब 10 लाख रुपए की खाद थी, जो अब किसी काम की नहीं रही।
‘इंडियन पोटास कंपनी’ ने खाद से लदा वैगन नंबर-107462 विशाखापटनम पोर्ट से उप्र के बस्ती स्थित ‘मेसर्स रामचन्द्र गुप्ता’ की दुकान के लिए बुक किया था। कई महीने बीत जाने के बावजूद जब वैगन नहीं पहुंचा, तो रेलवे से उसकी शिकायत की गई। शिकायती पत्रों का यह सिलसिला महीनों चला, आखिरकार दुकानदार ने पत्र लिखना बंद कर दिए। रेलवे भी अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद वैगन को ढूंढ़ नहीं पाया।
बुधवार को जब यह वैगन बस्ती पहुंचा, तो रेलवे अधिकारी हैरान रह गए। उधर, दुकानदार मनोज गुप्ता ने इसे रेलवे की लापरवाही बताया। उन्होंने कहा वैगन में रखा 10 लाख रुपए का खाद अब किसी काम का नहीं बचा। उन्होंने खाद लेने से इनकार कर दिया है। अब वे रेलवे से हर्जाना वसूलने की बात कह रहे हैं।
अब रेलवे इस बात की जांच करने में जुटी है कि इतने लंबे समय तक वैगन कहां थी। पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ संजय यादव ने बताया कि मालगाड़ी में लगा वैगन कभी-कभार खराबी के चलते काट कर अलग कर दिया जाता है। इस वैगन के साथ भी वैसा ही हुआ होगा। लेकिन बिना जांच के अभी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। हालांकि साढ़े तीन साल तक वैगन न पहुंचना, हैरानी की बात है। इस लापरवाही की जांच कराई जाएगी। मामले की जांच कराई जाएगी।