मुंबई। शिवसेना के मुखपत्र में आज मराठा आरक्षण के मुद्दे को सरकार को घेरने की कोशिश की गई है। सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक शुरू होने से कुछ ही घंटों पहले ‘सामना’ ने एक संपादकीय प्रकाशित किया जिसमें कहा गया है कि मराठा आरक्षम के मुद्दे पर फडणवीस सरकार गंभीर नहीं है।
संपादकीय में बताया गया है कि राज्य सरकार मराठा समुदाय की मांगों के बारे में गंभीर नहीं है, अन्यथा वे अब तक उनकी मांगों पर कुछ न कुछ फैसला ले लेते।
संपादकीय में मराठा आरक्षण आंदोलनों पर केंद्र सरकार के दृष्टिकोण की भी आलोचना की गई है।
शिवसेना के मुखपत्र के अनुसार, केंद्र हमेशा इस दृष्टिकोण का रहा है कि आंदोलनों को उनकी मांगों को पूरा किए बिना दबाने की जरूरत है। इस सरकार ने गुजरात में पटेलों के आंदोलन का एक उदाहरण भी प्रस्तुत कर चुकी है। उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने पटेल आरक्षण की मांगों को भी दबा दिया और अब मराठा आरक्षण आंदोलन से भी डर रही है।
महाराष्ट्र में सत्ताधारी पार्टी में एक और आलोचना करते हुए, ‘सामना’ ने मांग की कि अगर पंकजा मुंडे इस मामले में निर्णय लेने में सक्षम हैं तो उनको कम से कम एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए, और वह एक दिन में मराठा आरक्षण की फाइल को मंजूरी दे देंगी।
संपदकीय के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी उंगली उठाई गई है और कहा गया है कि उनके पास मराठा समुदाय की मांगों को पूरा करने के लिए कोई समय नहीं है, क्योंकि वह विदेशी दौरों में व्यस्त हैं।
यदि मुख्यमंत्री दिल्ली जाते हैं, तो वह किससे मिलेंगे। जब प्रधानमंत्री देश से बाहर निकलते हैं तो ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री के पास राज्यों की मांगों को सुनने के लिए कोई समय या रुचि नहीं है, लेकिन अगर फडणवीस मराठा कोटा पर फैसला लेने में खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं तो पंकजा मुंडे को कम से कम एक दिन के लिए फैसला करने का मौका दिया जाना चाहिए।