आज कारगिल विजय दिवस है। आज के ही दिन सन 1999 में हमारे भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटाया था और कारगिल पर तिरंगा लहराया था। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान इस ऑपरेशन की 1998 से तैयारी कर रहा था। वहीं दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला युद्ध था, जिसमें हर मिनट दुश्मनों पर फायरिंग की गई। कारगिल युद्ध में तोपखाने (आर्टिलरी) से 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए थे। 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों ने रोज करीब 5,000 बम फायर किए थे। साथ ही कारगिल की लड़ाई अपने आप में कई राज छुपाए हुए है। हर कोई अलग-अलग अंदाजा लगाता है। यह कोई नहीं जानता की उस समय क्या हुआ था। हम आज आपको कारगिल युद्ध से जुड़े कुछ अहम राज बताएंगे।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था। कारगिल युद्ध 8 मई 1999 से शुरू हुआ था जब पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया था। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान इस ऑपरेशन की 1998 से तैयारी कर रहा था। पाकिस्तान लगातार ऐसा दावा करता रहा है कि यह लड़ाई पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने लड़ी। लेकिन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी शाहिद अजीज ने राज उजागर करते हुए कहा था कि करगिल लड़ाई में मुजाहिद्दीन के अंतकी शामिल थे। कारगिल सेक्टर में 1999 में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के तत्कालीन ब्रिगेडकमांडर ब्रिगेडियर मसूद असलम के साथ एक हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी और भारतीय भूभाग में करीब 11 किमी अंदर जिकरिया मुस्तकार नामक स्थान पर रात बिताई थी।
कई लोगों का ऐसा मानना हैं कि कारगिल की लड़ाई उम्मीद से ज्यादा खतरनाक थी। हालात के मद्देनजर मुशर्रफ ने परमाणु हथियार तक इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली थी। पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध को 1998 से अंजाम देने की फिराक में थी। इस काम के लिए पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को कारगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था। कारगिल की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को पहले इस ऑपरेशन की खबर नहीं दी गई थी। जब इस बारे में पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को बताया गया तो उनहोंने इस मिशन में आर्मी का साथ देने से मना कर दिया था।
उर्दू डेली में छपे एक बयान में नवाज शरीफ ने इस बात को स्वीकारा था कि कारगिल का युद्ध पाकिस्तानी सेना के लिए एक आपदा साबित हुआ था। पाकिस्तान के 2700 से ज्यादा सैनिक इस युद्ध में शहीद हुए थे। पाकिस्तान को 1965 और 1971 की लड़ाई से भी ज्यादा नुकसान करगील के युद्ध में हुआ था।
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ कारगिल युद्ध में मिग-27 और मिग-29 का प्रयोग किया था। मिग-27 की मदद से इस युद्ध में उन स्थानों पर बम गिराए जहां पाक सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था। इसके अलावा मिग-29 करगिल में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ इस विमान से पाक के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलें दागी गईं थीं। 8 मई को कारगिल युद्ध शुरू होने के बाद 11 मई से भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने इंडियन आर्मी की मदद करना शुरू कर दिया था। कारगिल की लड़ाई कितनी खतरनाक थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस युद्ध में वायुसेना के करीब 300 विमान उड़ान उतेेरे थे।