औरंगाबाद। मराठा समुदाय ने मंगलवार को औरंगाबाद जिले के गंगापुर तहसील में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के लिए अपना विरोध जारी रखा है।
प्रदर्शनकारियों ने कल से औरंगाबाद-पुणे राजमार्ग को भी अवरुद्ध कर दिया है, जिससे वाहनों का गुजरना मुश्किल हो गया है।
आंदोलन सोमवार को एक प्रदर्शनकारी के खुकुशी करने के बाद गमगीन हो गया। कयागांव गांव के निवासी काकासाहेब शिंदे गोदावरी नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।
युवाओं की मौत के बाद, मराठा क्रांति मोर्चा के कार्यकर्ता औरंगाबाद-पुणे राजमार्ग पर एक बस को क्षतिग्रस्त कर दिया और मुंबई-पुणे राजमार्ग को भी अवरुद्ध कर दिया।
प्रवक्ता योगेश शिर्के ने आरोप लगाया कि पुलिस ने युवाओं को इस तरह का कदम उठाने के लिए उकसाया गया था।
शिरके ने कहा कि जब हम ‘जल समाधि’ लेने आए, तो पुलिस ने हमें उत्तेजित करना शुरू कर दिया और हमें समाधि लेने के लिए चुनौती दी। उन्होंने कहा कि अगर सच में हमारी नसों में मराठा खून है तो करके दिखायें।
मराठाओं ने कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो वे सभी लोग ‘जल समाधि’ लेंगे।
उन्होंने आगे बताया कि हमारे भाई शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे क्योंकि सरकार ने हमारी 30 मांगों में से एक भी पूरा नहीं की है। अगर मुख्यमंत्री (देवेंद्र फडणवीस) का हमारी मांगों पर जवाब नहीं देते हैं और पूरी नहीं होती है तो हम सभी ‘जल समाधि’ ले लेंगे।
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि सरकार हमारे विरोध और मराठा आरक्षण को गंभीरता से नहीं ले रही है।
गणेश राव ने कहा कि सरकार ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को गंभीरता से नहीं लिया। मैं चाहता हूं कि मुख्यमंत्री इस्तीफा दे दें।
ज्ञानेश्वर बालकृष्ण रावणे ने कहा कि सरकार ने हमारे इस विरोध का मजाक उड़ा रही है।
मराठा समुदाय के आरक्षण के अलावा, कर्ज माफी, कोपार्डी बलात्कार, बेरोजगारी जैसे तमाम ऐसे मुद्दे हैं, जिनके खिलाफ हम विरोध कर रहे हैं।