हैदराबाद। आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज की मांग का मामला ठंडा पड़ने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को टीडीपी की अगुआई में आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज देने के लिए केंद्र सरकार के धोखा दिए जाने को लेकर संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। हालांकि, इस मामले में सरकार की जीत हो गई। लेकिन टीडीपी और विपक्षी दल इस बात को लेकर आश्वस्त दिखे कि उन्होंने सरकार को संसद में सकारात्मक बहस के लिए मजबूर कर दिया।
अब वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी ने 24 जुलाई को आंध्र प्रदेश बंद का आह्वान किया है। जगन मोहन रेड़्डी का यह आह्वान आंध्र प्रदेस को विशेष पैकेज की मांग के लिए किया जा रहा है। साथ ही यह बताने के लिए किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश को किस तरह से धोखा दिया है।
उन्होंने कहा है कि जो भी पार्टी आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज देने का वादा पूरा करने के लिेए कहेगी। हम उसका राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन करेंगे।
आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी वर्तमान केंद्र सरकार में भागीदार रह चुकी है। लेकिन सरकार ने यह कहकर नकार दिया गया कि वित्त आयोग इसके लिए अनुमति नहीं दे रहा है और अगर हम इस तरह से आंध्र प्रदेश के साथ करते हैं तो कई अन्य राज्य भी इस लाइन में लगे हुए हैं, तो सरकार के लिए यह मुश्किल हो जाएगा। सरकार के इनकार के बाद टीडीपी ने अपना समर्थन वापस लेकर सरकार से अलग हो गई और विपक्ष के साथ मिलकर सरकार की आलोचक बन गई।
मामला यहां तक पहुंच गया कि उसकी अगुआई में केंद्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक आ गया। एक ऐसी सरकार जो पूर्म बहुमत के साथ चल रही है और उसके गिरने का रंच मात्र भी डर नहीं था। उसके खिलाफ अविश्वास लाना कितना उचित था। वह तो नतीजे से साफ हो गया, लेकिन विपक्ष का एक मकसद जरूर पूरा हो गया कि सरकार को संसद में घेरा जाए। संसद में सरकार से जो जनहित से जुड़े सवाल किए गए। उसका जवाब तो विपक्ष को नहीं मिला लेकिन एक अलग तरह की राजनीति जरूर शुरू हो गई।
पीएम ने अपने भाषण में सरकार पर लगाए गए आरोप का जवाब तो नहीं दिया, उल्टे देश में सारी परेशानियों और विकास क्यों नहीं हुआ उसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार जरूर ठहरा दिया।