राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले में की विवादित जमीन पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है। हम अपको बतातें हैं कि यह पूरा मामला क्या है सबसे पहले आपको बता दें कि पिछली बार इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में शिया वक्फ़ बोर्ड ने कहा था कि अयोध्या की विवादित ज़मीन पर मुस्लिम समुदाय के हिस्से को राम मंदिर निर्माण के लिए देने के लिए हम तैयार हैं।
हाई कोर्ट में भी है आज एक अहम सुनवाई
- हिन्दू तालिबानियों ने गिराई थी मस्जिद- वकील
1992 में जो मस्जिद गिराई गई वो हिन्दू तालिबानियों द्वारा गिराई गई। मुस्लिम पक्ष की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा गया था कि सरकार को इस मामले में नियुट्रल भूमिका रखनी थी लेकिन उन्होंने इसको तोड़ दिया।
- राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि यह 34 हजार करोड़ का मामला है आप हमें बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सात मई को आदेश दिया था कि निर्माण कार्य से जुडे मजदूरों के लिए मॉडल कल्याणकारी योजना बनाकर वेबसाइट पर डाली जाए, सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि मंत्रालय ने 11 मई को इसे वेबसाइट पर डाला और एक महीने बाद उतार लिया।
- 1994 में क्या था कोर्ट का ब्यान
1994 में पांच जजों के पीठ ने राम जन्मभूमि के मामला को धर्म से जुड़ा देख ऐसा ही छोड़ दिया गया ताकि हिंदू पूजा कर सकें। पीठ का कहना था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम में नहीं है। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन का एक तिहाई हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को दिया था।