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अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के साथ आई शिवसेना, सस्पेंस खत्म

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नई दिल्ली। मोदी सरकार को कल अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा। यह अविस्वास प्रस्ताव टीडीपी द्वारा लाया जा रहा है, लेकिन इसको लेकर विपक्ष बहुत अधिक उत्साहित है। यूपीए अध्य़क्ष सोनिया गांधी ने सरकार की धड़कनें तेज कर दी है। सोनिया गांधी ने कल कहा था कि कौन कहता है कि उनके पास जरूरी आंकड़े नहीं हैं। उसके तुरंत बाद ही भाजपा ने अपने सभी सांसदों को चर्चा और वोटिंग के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया।

लेकिन भाजपा व्हिप का इस्तेमाल अपनी पार्टी के सांसदों के लिए कर सकती है। न कि गठबंधन के सांसदों के लिए। इससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि कौन किसके साथ है? कल मतदान के बाद ही यह तय हो पाएगा कि यह सरकार रहेगी की जाएगी।

सरकार रहे या जाए, इस बात को लेकर विपक्ष बहुत अधिक चिंतित नजर नहीं आ रहा, क्योंकि इसके जरिए सदन में वह सरकार से तमाम मुद्दों पर जवाब ले सकता है और सरकार को यह बता सकता है कि संभल कर काम कीजिए। अब जनता का भरोसा आपसे उठ रहा है।

वहीं, एनडीए की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अपने पत्ते खोलते हुए कहा है कि अब वह सरकार के पक्ष में मतदान करेगी।

शिवसेना नेता संजय राउत ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए बताया कि हम सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे या नहीं इसका फैसला उद्धव ठाकरे ही लेंगे।

एएनआई से बात करते हुए राउत ने कहा कि कल लोकसभा में सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शिवसेना के फैसले के बारे में सभी को पता चल जाएगा। शिवसेना अभी अपने पत्ते नहीं खोलेगी।

सत्ता में आने के दौरान किए गए अपने वादों को पूरा नहीं करने के लिए केंद्र में उंगलियों की ओर इशारा करते हुए शिवसेना नेता ने कहा कि मोदी की अगुआई वाली सरकार पिछले चार वर्षों में अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में नाकाम रही है। अगर आप गौर से देखें तो पता चलेगा कि देश में कई किसान हैं अभी भी कृषि संकट से जूझ रहे हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।

आगे बातचीत संजय राउत ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने एक असौहार्द्रपूर्ण माहौल बनने के लि जिम्मेदार है।

राउत ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में देश में सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ा है।

उन्होंने मोदी सरकार से कल सदन में विपक्ष द्वारा उठाए गए सबी मुद्दों पर पूरी तरह से चर्चा करने के लिए कहा है।

लोकसभा सभापति सुमित्रा महाजन ने 18 जुलाई को विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। महाजन ने कहा कि विपक्षी सांसदों ने केंद्रीय नेतृत्व मंत्रिपरिषद में आत्मविश्वास की कमी व्यक्त करते हुए मोदी के नेतृत्व वाले केंद्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए लिखित में दिया था।

प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान लोकसभा में 20 जुलाई को और राज्यसभा में 23 जुलाई को होगा।

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