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किसान आंदोलन से डरी महाराष्ट्र सरकार, किसान सभा के सचिव को पुलिस ने थमाया नोटिस

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मुंबई। सरकार चाहे जो भी दावा कर ले, लेकिन देश में किसानों की समस्यायें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों की समस्यायें अलग-अलग हैं। कहां पर गन्ना किसानों के भुगतान का मामला है तो कहीं पर संसाधनों की कमी की वजह से किसान आत्म हत्या करने को मजबूर है। कहीं पर कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है तो कहीं पर उसके उत्पादों का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। यह किसान ही जो देश के लोगों के पेट भरने का इंतजाम करता है। लेकिन उसका समस्याओं की सुनवाई कहीं नहीं होती है।

कहने के लिए तो सरकार तमाम उपाय कर रही है, लेकिन किसान फिर भी सड़क पर उतरने को मजबूर हो रहा है, तो सरकार उसके आंदोलन को कुचलने के लिए पहले से ही मन बनाकर बैठी है।

सोमवार को मुंबई पुलिस ने अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के सचिव अजीत नेवले को नोटिस दिया, जिसमें कहा गया है कि वह न तो स्वाभिमानी की मांगों का समर्थन करेंगे और न ही किसी भी शेतकरी संगठन के विरोध में भाग लेंगे।

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन कोल्हापुर स्थित किसान संगठन है, जिसने दूध उत्पादकों के समर्थन में दूध की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग की है और मुंबई में दूध आपूर्ति को रोकने की धमकी दी है।

मुम्बई और अन्य शहरों में दूध आपूर्ति के खिलाफ विरोध के चलते नेवले को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 149 के तहत नोटिस दिया गया है।

उनके पिछले रिकॉर्ड के आधार पर, किसी भी विरोध के मामले में, नेवले को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा।

बता दें, इससे पहले मार्च में अखिल भारतीय किसान सभा के एक विरोध में लगभग 30,000 किसानों ने भाग लिया था। किसान लगभग 180 किमी के लिए नंग पांच चलकर आए थे।

5 मार्च को जो आंदोलन शुरू हुआ था वह किसानों के कर्ज को माफ करने के लिए था।

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