नई दिल्ली। जून में भारत की थोक महंगाई दर 5.77 प्रतिशत बढ़ी, जो साढ़े चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
कुछ खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों से प्रेरित, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नवीनतम मूल्य डेटा से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मई में 4.43 प्रतिशत की वृद्धि और जून 2017 में 0.90 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
थोक मूल्य सूचकांक जिसे डब्ल्यूपीआई द्वारा मापा जाता है। उससे पता चलता है कि मुद्रास्फीति थोक मूल्य सूचकांक के पांचवें स्थान पर है। जून में 3.16 प्रतिशत से बढ़कर 5.3 प्रतिशत हो गए।
दूसरी तरफ, मई में 2.51 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले जून में सब्जियों की कीमतें 8.12 प्रतिशत बढ़ीं।
मई में 21.13 प्रतिशत (-) की वृद्धि के मुकाबले जून में 20.23 प्रतिशत की गिरावट के साथ दालों की कीमतों में गिरावट जारी रही है।
इसी तरह, ईंधन और बिजली मुद्रास्फीति, जो कि डब्ल्यूपीआई में 13.15 प्रतिशत का भार है, जून में 16.18 प्रतिशत बढ़कर मई में 11.22 प्रतिशत हो गया।
जून में 13.90 से पेट्रोल की कीमतें 17.45 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि मई में 17.34 प्रतिशत की तुलना में डीजल की कीमत जून में 21.63 प्रतिशत बढ़ी।
पिछले हफ्ते पहले, सरकारी आंकड़ों से पता चला कि बढ़ती ईंधन की कीमतों के पीछे मई के 4.87 प्रतिशत से पांच महीने के उच्चतम स्तर पर खुदरा मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत बढ़ी है।
गौरतलब है कि महंगाई बढ़ाने या घटाने में तेल की कीमतों का काफी अहम रोल होता है। अब जहां हर रोज तेल की कीमतें तय की जाती हैं, तो वहां पर इस बात को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है कि तेल के भाव ऊपर जाएंगे या नीचे। नीचे जाने पर ट्रांसपोर्टेशन लागत में कमी आती है जबकि तेल के भाव बढ़ने पर ट्रांसपोर्टेशन लागत बढ़ जाती है। जो उपबोक्ताओं से वसूले जाते हैं। वहीं, जब हर रोज भाव बढ़ रहे होते हैं तो वहां पर ट्रांसपोर्टेशन लागत हर रोज बढ़ने की संभावना बनी रहती है, जिससे कीमतें हर रोज बढ़ती रहती है।