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क्या विकास सिर्फ कागजों तक सीमित है, देखिये – झूठ से पर्दा उठाने वाली यह तस्वीर

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कलबुर्गी। बुधवार को विश्वबैंक ने अपडेटेड ऑकड़े जारी किए हैं, जिसमें बताया गया है कि भारत इतनी तेजी से प्रगति कर रहा है कि यह फ्रांस को पछाड़कर दुनिया की 6ठीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। लेकिन यह ऑकड़े क्या सच में कागजों तक ही सीमित हैं कि इनमें सच्चाई भी है। क्या ऑकड़े जारी करने से पहले देश की असली तस्वीर को कभी देखने की जहमत भी उठाई गई है कि नहीं।

बता दें, कर्नाटक के कलबुर्गी में एक किसान खुद हल खींचकर अपने खेत की जुताई कर रहा है और हल को उसकी पत्नी चला रही है। किसान का कहना है कि हम अपना हल खुद से इसलिए खींच रहे हैं क्योंकि हमारे पास ट्रैक्टर से खेत की जुताई करना के लिए पैसे नहीं हैं और न ही बैल रखने के लिए जिससे खेत की जुताई कर सकें। इस काम में मेरी पत्नी मेरी मदद करती हैं और स्कूल से जब बच्चे वापस आ जाते हैं तब वे मेरे साथ खेत में जुताई करने में मदद करते हैं। इसके अलावा जब मुझे खाली समय मिलता है तो मैं ऑटो रिक्शा भी चला लेता हूं। ताकि उसकी कमाई से जीवनयापन हो सके। लेकिन बारिश नहीं हेन की वजह से मैं लगातार तीन साल से घाटे में चल रहा हूं।

देश में आम लोगों से जुड़े हुए इस तरह के तमाम मुद्दे हैं, जिन पर बहस होनी चाहिए और उस समस्या को हल करने की कोशिश होनी चाहिए। लेकिन राजनीति पार्टियां अपनी भलाई के लिए लोगों को कभी धर्म में उलझाती हैं तो कभी क्षेत्रवाद में फंसा देती हैं तो कभी जातिवाद फैलाकर लोगों को असली मुद्दों से भटका देती हैं।

बेरोजगारी कितनी तेजी से बढ़ रही है। आज ही खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए गए हैं, जिसमें पिछले माह की तुलना में महंगाई फिर से बढ़ गई है। ऐसी बातों पर राजनीतिक दल चुप्पी साध लेते हैं, क्योंकि अगर इस पर बहस करेंगे तो उन्हें लोगों के लिए कुछ करना पड़ेगा। जब बिना कुछ किए ही लोग खुद बंटे हुए हैं और किसी न किसी के साथ जुड़कर उनके लिए वोट मांग रहे हैं तो ये पार्टियां क्यों ऐसे मुद्दों पर बाते करें।

 

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